विपक्षी दलों की भ्रष्टाचार पर चुप्पी भी दुःखदाई।
गोविन्द शर्मा
देवबंद (महानाद) : भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है, परन्तु अफसोस की बात यह है कि आने वाले चुनाव से पूर्व तमाम राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए एक दूसरे की खामियां तो गिनवा रहे है मगर भ्रष्टाचार पर अपनी जुबान को बंद किए हुए हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तासीन भाजपा के विरुद्ध सपा, बसपा और कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल ताल ठोक कर मैदान में हैं। सभी राजनीतिक दल महंगाई सहित कई मुद्दों पर चिल्ला रहे हैं, मगर भ्रष्टाचार पर कोई भी राजनीतिक दल बोलने को तैयार नहीं है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कोई सरकारी कार्यालय ऐसा नहीं है, जहां भ्रष्टाचार न हो।
भाजपा की सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए है, जो इतिहास बन गये हैं, मगर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है, जो भाजपा की बड़ी भूल है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टिया भी भ्रष्टाचार को लेकर कतई गम्भीर नजर नहीं आ रही हैं। जबकि विपक्ष की बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वह जनहित में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़े, धरना, प्रदर्शन करे, मगर तमाम पार्टियां अपने-अपने स्वार्थ के चलते केवल अन्य मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं।
इस विषय पर न बोलने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश में पहले सपा, बसपा और कांग्रेस का शासन रह चुका है, जिसमें भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी चरम पर रही है, भाजपा शासन में लोगों को गुंडो तथा गुंडागर्दी से बड़ी राहत मिली है, इसीलिए सभी विपक्षी पार्टियां अपने मुंह सिए हुए हैं। अब भी समय है कि प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर गम्भीर बने और अपनी मशीनरी को सुधारे अन्यथा आने वाला चुनाव भाजपा के लिए हार का कारण बन सकता है।