लखनऊ (महानाद) : यूपी में विगत दिनों स्वास्थ्य विभाग, पशु पालन विभाग तथा लोक निर्माण विभाग में तबादलों में अनियमितता तथा भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक्शन शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने तबादलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान की शुरुआत लोक निर्माण विभाग से की है।
लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के तबादलों में हुई गड़बड़ियों की जांच के बाद लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों का दोषी पाया गया है। जिसके बाद राज्य सरकार ने पांडेय को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करते हुए उन्हें केंद्र में वापिस भेज कर उनके विरुद्ध सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्यवाही करने की संस्तुति की है।
बता दें कि पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के तबादलों में गड़बड़ियों की शिकायतें आई थीं। विभाग में बड़े पैमाने पर अभियंताओं के तबादले हुए थे। मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री ने अभियंताओं के तबादलों में गड़बड़ियों की जांच के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह और अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय भूसरेड्डी की दो सदस्यीय जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया था।
समिति ने लोक निर्माण विभाग से अभियंताओं के तबादलों से जुड़ी फाइलें तलब कर मामलों की जांच कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। सूत्रों के अनुसार समिति ने अभियंताओं के तबादलों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को सही पाया। तबादलों में लेन-देन की बात भी सामने आई है। जिसके बाद रिश्वत देने वाले अभियंताओं के तबादलों की सिफारिश भी की गई है।
सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच समिति के साथ बैठक की। जिसमें समिति के सदस्यों ने तबादलों में हुए भ्रष्टाचार से जुड़े तथ्य मुख्यमंत्री के सम्मुख प्रस्तुत किए। माना जा रहा है कि उसी के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति के तहत ही पांडेय के खिलाफ सतर्कता जांच की सिफारिश की गई है। माना जा रहा है कि तबादलों में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर जल्द ही विभाग के कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई हो सकती है।