पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद): नगर पालिका अध्यक्षा मुमताज बेगम ने नगर पालिका के टैक्स समाहर्ता को गबन के आरोप में सस्पेंड कर लेखा विभाग से संबद्ध कर दिया है। मामले की जांच अवर अभियंता को सौंपी गई है।
नगर पालिका अध्यक्षा मुमताज बेगम ने निलंबन आदेश में कहा कि नगर पालिका की 9 दिसंबर 2022 की आख्या के अनुसार टैक्स समाहर्ता ऋषभ कौशिक ने 9 लाख 25 हजार 447 रुपए की धनराशि नगर पालिका के खाते में कम जमा किया है। क्योंकि सरकारी धनराशि के गबन का मामला है। इसलिए नगर पालिका परिषद के टैक्स समाहर्ता ऋषभ कौशिक को सस्पेंड करते हुए लेखा विभाग से संबद्ध किया जाता है। निर्देशित किया जाता है कि 7 दिन के भीतर धनराशि नगर पालिका कोष में जमा कराकर रसीद प्राप्त कर अधोहस्ताक्षरी के सम्मुख प्रस्तुत करें। अन्यथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि लिपिक की मां ने फिलहाल 3 लाख रूपए जमा करा दिए हैं। फिर भी इस मामले की जांच के लिए नगर पालिका के अवर अभियंता को जांच अधिकारी नामित किया गया है। जांच अधिकारी निलंबित कार्मिक को आरोप पत्र देकर 15 दिन के भीतर जांच कर जांच रिपोर्ट नगर पालिका अध्यक्षा के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे। निलंबन की अवधि में ऋषभ कौशिक को वित्तीय हस्त पुस्तिका में दिए प्रावधानों के तहत जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि देय होगी।
अधिशासी अधिकारी शाहिद अली ने बताया कि मामले की जांच अवर अभियंता ईश्वर सिंह रौतेला को सौंपी गई है। जांच के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि नगर पालिका लिपिक ऋषभ कौशिक पिछले डेढ़ साल से पालिका की आंखों में धूल झोंक कर रकम हड़पने का काम कर रहा था। वह पालिका खाते में पूरी रकम जमा न कराकर रकम को अपने शौक में उड़ाता रहा। 6 माह पूर्व मामला पकड़ में आया। बैंक स्टेटमेंट गृह कर रसीद का मिलान करने पर गबन के खेल का खुलासा हुआ। स्टोर कीपर कपिल के अनुसार चार बुकें अभी गायब हैं।
यहां बता दें कि पालिका में तैनात लिपिक ऋषभ कौशिक के पिता देवेश चंद्र शर्मा की बीते करोना काल में मौत हो गई थी। जिसके बाद जनवरी 2021 में आरोपी ऋषभ कौशिक को उसके पिता की जगह मृतक आश्रित के रूप में रखा गया था।
आपको बता दें कि नगर पालिका परिषद जसपुर में लूट-खसोट का यह पहला मामला नहीं है। आए दिन कभी पालिका अध्यक्ष, कभी नगर पालिका सभासद तो कभी नगर पालिका कर्मचारियों के फर्जीवाड़े के मामले सामने आते ही रहते हैं। सूत्रों की माने तो कुछ एक के तो कोर्ट में केस भी विचाराधीन है। पूरे दिन नगर पालिका परिषद जसपुर में दलालों का जमावड़ा बना रहता है। बता दें कि नगर पालिका परिषद जसपुर में कभी सड़क बनाने के नाम पर, कभी स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर, कहीं भराव के नाम पर, तो कहीं भूमि हड़पने के नाम पर, तो कहीं गृह कर की बंदरबांट के मामले सामने आ ही जाते हैं। जिसको लेकर नगर पालिका आए दिन चर्चा में बनी रहती है
ऐसा नहीं है कि वरिष्ठ अधिकारी इस सब मामले को नहीं जानते हैं बल्कि जानबूझकर अनदेखा करना उनकी मजबूरी बन गया है। अगर जल्द ही इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नहीं जब नगर पालिका और उसकी जमीनें बिक जाएंगी।