इस दिन खुलेंगे पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के कपाट, देखें…

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उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने की डेट का ऐलान हो गया है। बताया जा रहा है कि आगामी 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट, यात्रा प्रबंधन के शेष बचे कार्यों में जुट हुआ है। यात्रा पर आने वाले श्रृद्धालुओं से ट्रस्ट द्वारा अपील है कि झूठी अफवाहों में न आएं।  ट्रस्ट गुरुद्वारा से संपर्क करके यात्रा संबंधी जानकारी प्राप्त करें।

हुआ ये फैसला

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार हेमकुंड साहिब प्रबंध समिति के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा की मौजूदगी में हुई समिति की बैठक में 20 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोलने का निर्णय लिया गया। प्रबंध समिति के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने मुख्य सचिव एसएस संधु से मुलाकात कर इसकी जानकारी दी है। श्रद्धालुओं के लिए इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए, हेमकुंड साहिब के ट्रस्टी, सेवादार और स्थानीय नागरिक जोरों-शोरों से तैयारियों में लगे हुए हैं।

पूर्ण की गई ये तैयारियां

बताया जा रहा है कि संगतों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए गुरुद्वारा ट्रस्ट के मुख्य पड़ावों में विश्राम हेतु कमरों व हॉल इत्यादि का भी निर्माण किया गया है। इसके अलावा श्रृद्धालुओं की अन्य सुख-सुविधाओं जैसे कि लंगर पानी, चिकित्सा सहायता आदि का भी विशेष ध्यान रखते हुए ट्रस्ट द्वारा यात्रा की सभी तैयारियां लगभग पूर्ण की जा चुकी है । कपाट खोलने के लिए भारतीय सेना अप्रैल माह के दूसरे हफ्ते से बर्फ को काटने का काम शुरू कर देगी।

ये है मान्यता

गौरतलब है कि हेमकुंड साहिब ( Hemkund Sahib ) सिखों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। हेमकुंड साहिब को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में पहचाना जाता है।  यहां पहले एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था। सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने यहां पूजा अर्चना की थी. बाद में इसे गुरुद्वारा घोषित कर दिया गया। इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ़ की ऊंची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में रोमांच से भरा लगता है। इसी झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी आता है। एक छोटी जलधारा इस झील से निकलती है जिसे हिमगंगा कहते हैं. झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी अत्यन्त दर्शनीय है।

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