पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद): हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराते हुए राजस्व विभाग की टीम ने निवारमंडी गांव में रास्ते पर अतिक्रमण कर बनाए पक्के मकानों को महिलाओं के भारी विरोध के बावजूद पीले पंजे की मदद से तहस-नहस कर रास्ता साफ कर दिया।
आपकोबता देंकि एसडीएम सीमा विश्वकर्मा, तहसीलदार पूनम पंत, सीओ वंदना बर्मा भारी पुलिस बल के साथ गांव में पहुंचे। भारी पुलिस बल और दो जेसीबी मशीनों को देख कर ग्रामीणों में खलबली मच गई। महिलाएं अतिक्रमण हटाने के विरोध में उतर आईं और विरोध करते करते 6-7 महिलाएं बेहोश होकर गिर गई। एसडीएम ने आनन-फानन में एंबुलेंस को बुलाकर उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें छुट्टी दे दी।
एसडीएम ने ग्रामीणों को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाया जा रहा है। उन्होंने समझा-बुझाकर ग्रामीणों एवं महिलाओं को शांत किया। जिसके बाद राजस्व विभाग की टीम ने दो जेसीबी मशीनों की मदद से निवार मंडी गांव को रामनगर वन से जोड़ने वाले पुराने रास्ते एवं अन्य स्थानों पर बने ग्रामीण चंद्र प्रकाश सिंह, संतराम सिंह, करण सिंह, अनिल सिंह, ऊदल सिंह, चमन सिंह, किशन सिंह, नरेश सिंह, महेंद्र सिंह आदि ग्रामीणों के मकानों को ढहा दिया। अतिक्रमण हटाने में राजस्व टीम के साथ कुंडा काशीपुर की पुलिस एवं पीएसी भी मौजूद रही।
वहीं एसडीएम सीमा विश्वकर्मा ने बताया कि गांव में 30 ग्रामीणों को अतिक्रमण हटाए जाने का नोटिस दिया गया था। नोटिस की समय अवधि बीतने के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई है। 26 अतिक्रमणकारियों के अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया। चार अतिक्रमणकारियों को तीन दिन का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि एक अतिक्रमणकारी ग्रामीण की पत्नी की बुधवार को मौत हो गई हो गई। उन्हें 3 दिन का समय दिया गया है। तीन अतिक्रमणकारियों ने उन्हें बताया कि उन्हें इस भूमि पर वर्ष 1987 में नसबंदी कराने पर तहसील प्रशासन एवं ग्राम सभा ने आवासीय भूमि के पट्टे दिए गए थे। उन्हें पट्टे दिखाने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है।
विदित हो कि अतिक्रमणकारियों ने निवारमंडी गांव में 50 वर्ष से अधिक समय से रास्ते की भूमि व ग्राम समाज की भूमि पर अतिक्रमण करके अपने पक्के आवास बना रखे थे। निवार मंडी से रामनगर वन गांव को जोड़ने वाला रास्ते का अस्तित्व केवल राजस्व अभिलेखों में है। सरकार द्वारा इन गांवों को जोड़ने के लिए गांव के बीच से रोड बनाई गई है। इसी गांव के लोगों ने आपसी रंजिश के चलते वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने प्रशासन को अतिक्रमण हटाए जाने के निर्देश दिए थे। बीते वर्ष भी तहसील प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी किए थे। नोटिस की समय अवधि बीतने के बाद प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। ग्रामीणों को लगा कि प्रशासन इस बार भी कोई कार्यवाही नहीं करेगा। इसलिए ग्रामीण बेफिक्र थे। उन्होंने अपने घरों में रखा सामान भी नहीं निकाला और अतिक्रमण हटाने का कोई प्रयास नहीं किया। ग्रामीणों के सामने अब आवास, टॉयलेट, बाथरूम की समस्या उत्पन्न हो गई है। हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने वाले ग्रामीण के निर्माण को भी अतिक्रमण टीम ने ध्वस्त कर दिया।