पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद) : भाजपा नेता विनय रुहेला के प्रयास वन ग्रामों/डाम आदि क्षेत्रों में वर्षों से निवास कर रहे लोगों को उजाड़ने का कार्य रुक गया है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने का कार्य वृहद स्तर पर चल रहा है। ऐसे में वर्षों से वन क्षेत्र में रह रहे सिख व अन्य समाज के किसानों को भी अपनी-अपनी भूमि छोड़ने के नोटिस जारी कर दिये गये थे जिस आम जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। इसे देखते हुए भाजपा नेता विनय रुहेला ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर बताया था कि जसपुर के डाम व अन्य क्षेत्रों में पिछले 45 वर्षों से सिख व अन्य समाज के लोग किसानी एवं खेती का कार्य कर रहे हैं। उक्त लोगों को जन सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए आपके द्वारा उन क्षेत्रों को राजस्व ग्राम बनाये जाने की घोषणा की थी। जिसका प्रस्ताव जिला प्रशासन के अधीन है। यह भूमि वन विभाग एवं सिंचाई विभाग की है। अतः उक्त लोगों को दिये गये भूमि से कब्जा हटाने के नोटिस को निरस्त कर उक्त भूमि को वहां रह रहे लोगों के नाम दाखिल करने का कार्य करें।
विनय रुहेला के पत्र का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री धामी ने इसके लिए मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते को निर्देशित किया। जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने भाजपा नेता विनय रुहेला को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि वन ग्रामों में रह रहे लोगों को हटाने की कार्यवाही फिलहाल नहीं की जायेगी।
अपने पत्र में मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने समस्त प्रभागीय वनाधिकारी/उप निदेशक वन विभाग को निर्देशित करते हुए कहा है कि वर्तमान में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाये जाने का अभियान चल रहा है। जानकारी में आया है कि कुछ वन प्रभागों के वन क्षेत्राधिकारी, उप वन क्षेत्राधिकारी, वन दरोगा व वन आरक्षियों द्वारा वन भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को खाली कराये जाने के नोटिस रेंज स्तर से जारी किये जा रहे हैं जोकि वन अधिनियम के प्रावधानोरूप नहीं है।
वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने/बेदखली हेतु नोटिस जारी करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी प्रभागीय वनाधिकारी है। उक्त को अपने अधीनस्थों में इसका प्रचार प्रसार करें ताकि जन मानस में भ्रगम की स्थिति उत्पन्न न हो।
वहीं उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा है कि जिन नदियों में उप खनिज का चुगान कार्य चल रहा है उस वन क्षेत्र मेें नदियों के किनारे बसे अवैध णलों/कच्चे मकान आदि को नियमानुसारतुरंत हटाया जाये। वहीं वन भूमि में बसे गोट, खत्ते, वन ग्राम एवं वन टोंग्या ग्रामों आदि क्षेत्रों के विनियमतिकरणरुविस्तापन हेतु नीति निर्धारण किया जाना है। अत ऐसे क्षेत्रों हेतु पृथक से नीति निर्धारण उपरान्त ही आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।