भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन पर लगे रेप के आरोप गलत, याचिका खारिज

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नई दिल्ली (महानाद) : हाईकोर्ट ने भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ लगे रेप के आरोपों को खारिज कर दिया। एक महिला ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ उसके साथ रेप करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। महिला का आरोप था कि दिल्ली के एक फॉर्महाउस में शाहनवाज हुसैन ने उनके साथ रेप किया था। मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने हुसैन को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली पुलिस की तरफ से कोर्ट में एफआईआर रद्द करने से जुड़ी रिपोर्ट को सही मानते हुए भाजपा नेता को आरोपों से बरी कर दिया।

हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने अपने आदेश में कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में कोई गलती नहीं है। दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की दोबारा जांच की अर्जी खारिज की जाती है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, जांच के दौरान जुटाये गए दस्तावेजी और वैज्ञानिक साक्ष्यों से कथित घटना की तारीख को कथित घटनास्थल पर प्रतिवादी शाहनवाज हुसैन और शिकायतकर्ता महिला की उपस्थिति पूरी तरह से खारिज हो जाती है। ऐसे में कथित अपराध के घटित हुए होने की संभावना शून्य हो जाती है।

हाईकोर्ट ने कहा कि इसलिए, एफआईआर रद्द करने की रिपोर्ट को स्वीकार करने में न्यायाधीश के निष्कर्ष को बरकरार रखा जाए। इन चर्चाओं के मद्देनजर, 16 दिसंबर 2023 के आदेश में कोई गलती नहीं है और पुनरीक्षण याचिका खारिज की जाती है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि हुसैन ने उसे नशीला पदार्थ पिलाकर अप्रैल 2018 में दिल्ली के एक फार्महाउस में उसके साथ रेप किया।

वहीं, मामले में पुलिस ने एफआईआर रद्द करने का अनुरोध करते हुए अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल की थी लेकिन तब इस रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट अदालत ने मंजूरी नहीं दी, जिसने कथित अपराध का संज्ञान लिया था और मामले में शाहनवाज हुसैन को तलब किया था। आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी गई, जिसने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और 16 दिसंबर 2023 को यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली। आदेश से व्यथित होकर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया और पुनरीक्षण याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायाधीश ने जांच अधिकारी द्वारा की गई पूरी विस्तृत जांच का हवाला दिया था। जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के प्राथमिकी दर्ज करने और जांच शुरू करने के आदेश को चुनौती देने वाली हुसैन की याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि कानून के तहत उपलब्ध किसी भी उपाय का हुसैन सहारा ले सकते हैं।

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