बाल रोग विभाग से बच्चे से संबंधित उक्त जानकारी मिलने पर पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की विशेषज्ञ चिकित्सक आचार्य डॉ. रुचि दुआ के साथ उनकी टीम के सदस्य डॉ. प्रखर शर्मा, डॉ. दीपांश गुप्ता, डॉ. ऋत्विक सिंगला, डॉ. अश्वथी साबू के अलावा बाल रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. व्यास कुमार राठौड़, डॉ. मान सिंह, डॉ. श्रीजन, एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका गुप्ता, डॉ. रीना , डॉ. अजहर, बाल शल्य चिकित्सा विभाग की विशेषज्ञ डॉ. शौर्या व रेडियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राहुल देव की देखरेख में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ब्रोकोस्कोपी प्रयोगशाला में Flexible Bronchoscopy के माध्यम से बच्चे के फेफड़े से सफलतापूर्वक पेंच को निकाल लिया गया । अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ एवं सुरक्षित है ।
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गिरीश सिंधवानी के अनुसार विभाग में इससे पूर्व भी विभाग द्वारा कई जटिल मामलों का संयुक्त चिकित्सकीय दल के साथ सफलतापूर्वक निस्तारण कर मरीजों को राहत प्रदान की जा चुकी है। विभाग की ब्रोंकोस्कोपी प्रयोगशाला में मरीजों के फेफड़ों में फंसे बल्ब के फिलामेंट एवं पिनट्स के टुकड़े के साथ-साथ अन्य वस्तुओं को भी ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से निकाल कर मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दिया गया है ।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि एम्स,ऋषिकेश में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। संस्थान का प्रयास है कि किसी भी जटिल स्वास्थ्य संबंधी मामले के लिए मरीजों को अन्य राज्यों के स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं जाना पड़े, इसके लिए जरुरी स्वास्थ्य सुविधाएं सततरूप से उपलब्ध कराई जा रही हैं। निदेशक के मुताबिक हमारे संस्थान में विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने सभी अभिभावकों को अपने बच्चों को अपनी निगरानी में रखने की अपील भी की है, जिससे इस प्रकार की घटनाओं खासकर अबोध बच्चों द्वारा इस तरह की वस्तुएं निगलने की अप्रिय घटनाओं की रोकथाम हो सके।