यतीश शर्मा
पंचकूला (महानाद) : समाज में आप जैसे मर्जी रहो लेकिन कुछ आवाज आपको सही बताएंगी और कुछ आपकी कामयाबी पर ऊँगली उठायेगी। यह दुनियां का दस्तूर है, जिसके कारण आपके लक्ष्य तक के सफर में रुकावटें आती रहती हं।ै लेकिन उस वक्त आपके हौंसले आपको प्रगति की राह पर काम आते हैं। यह बात बाॅलीवुड की अदाकारा रीतू सिंदवानी ने एक विशेष मुलाकात में बताई।
रीतू ने कहा कि समाज में हमेशा नारी को दबाने की कोशिश की गई है। बचपन से लेकर अधेड़ उम्र तक नारी पिसती आ रही है। जिसके कारण नारी के मन की बात कोई नहीं समझ सका। क्योंकि किसी भी घर में जब एक बेटी पैदा होती है तब इतनी खुशियां नहीं मनाई जाती थीं जिसका जीता जागता सबूत हमारा इतिहास गवाही देता है। वैसे तो हम बचपन से देखते आये हैं जब कभी भी घर मे बेटी पैदा होती है हमारा यह समाज सभी बेटी को इस प्रकार ज्ञान देता आया है कि मानो परिवार की हर मर्यादा व रोक टोक बेटी के लिये ही बनी है। बेटी को हमेशा पराया धन ही बोला गया है। बेटी को पढ़ाया, लिखाया और समझाया जाता रहा है लेकिन उसको बैठा कर यह नहीं पूछा जाता कि उसके अरमान क्या हैं, वो क्या करना चाहती है। उसे बस पराया ही समझा जाता है आखिर क्यों?
उन्होंने कहा कि आज देश की हर लड़की पुरुष के साथ हर कदम पर कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रही है। पर समाज की मानसिकता नारी के प्रति वो ही है जिसके कारण देश मे आज भी नारी का शोषण हो रहा है और हम लोग नारी पर हो रहे अत्याचारों को रोक नहीं पा रहे हैं। किसी भी दिन का आप समाचार पत्र उठा कर देख लो आपको नारी पर अत्याचार की खबर मिलेगी और अगले दिन हमारा समाज मोमबत्तियां लेकर इंसाफ की आवाज लगाता मिलेगा। क्यों, कब तक हम नारी पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सड़क पर मोमबत्तियां उठा कर चलते नजर आयेंगे। समाज को बदलना होगा नारी के प्रति पुरुष प्रधान देश को नारी के प्रति अपनी मानसिकता बदलनी होगी।
भारत देश एक ऐसा देश है जहाँ की संस्कृति हमें बहुत कुछ सिखाती है। आजादी के 74 साल बाद भी हमारी सत्ताधारी सरकार ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाती है। नारी का शोषण करने वाले लोग भी हमारे परिवार के ही सदस्य हैं। मुझे उम्मीद है कि अगर हम सब मिलकर अपने परिवार से ही नारी के सम्मान की शुरुआत करें तो समाज में बदलाव जरूर आएगा और एक नये भारत की शुरुआत होगी।
उन्होंने कहा कि आज समाज को एकजुट हो नारी के सम्मान के लिए आगे आना होगा और अपनी मानसिकता बदल लड़की के साथ साथ लड़कों को भी ज्ञान देने की प्रथा शुरू करनी होगी ताकि लड़की भी अपने को महफूज समझ देश की तरक्की के लिए निर्भीक हो कार्य कर पाये।