पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद) : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जसपुर में कार्यरत आशा वर्करों ने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया तथा नारेबाजी की। आशा वर्करों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जसपुर प्रशासन पर डिलीवरी के दौरान लापरवाही किए जाने का आरोप लगाया।
आशा वर्कर्स अध्यक्ष बबीता कश्यप ने बताया कि आशा वर्कर्स डिलीवरी के लिए जब महिलाओं को सरकारी अस्पताल लाती हैं तो, अस्पताल में 2-2 महिला डॉक्टर होने के बावजूद भी संसाधनों का अभाव होने का हवाला देते हुए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है और वहां नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है तथा लापरवाही के चलते अधिकांश मरीज के तीमारदार अपने मरीज को लेकर प्राइवेट अस्पतालों में महंगी डिलीवरी/ इलाज करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। बबीता ने बताया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा आशा वर्कर्स को रिपोर्ट बनाने की धमकी दी जाती है।
उनका आरोप है कि नाइट में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को रात में नर्स के ऊपर ही तड़पता हुआ छोड़ देती हैं और बुलाने पर भी महिला डॉक्टर इमरजेंसी में आने की जहमत नहीं करती। महिला डॉक्टर एमरजेंसी रूम में न रहकर अलग ही रूम में रहती हैं।
बबीता कश्यप ने बताया कि आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वाे में लगा दी गई हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की सेवा में शुरू करते हुए आज आशा वर्करों को सारे काम करने पड़ रहे हैं। लेकिन उसके अनुरूप पैसा नहीं मिलता है आशा वर्करों ने मासिक मानदेय नियत करने में डीजी हेल्थ उत्तराखंड द्वारा आशाओं के मानदेय को लेकर बनाए प्रस्ताव लागू करने, आशाओं को न्यूनतम वेतन कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी को अनिवार्य पेंशन दिए जाने, सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को एक मुश्त धनराशि व आजीवन पेंशन का प्रावधान किए जाने, आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे प्रति माह दिलाए जाने, ट्रेनिंग व पल्स पोलियो अभियान के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये का भुगतान किए जाने की मांग की।
धरना प्रदर्शन में अध्यक्ष बबीता कश्यप, सतपाल कौर, पवन कुमारी, राधा, उषा, सर्वेश, रेशमा, रेखा, लता, संतोष, प्रवेश कुमारी, अर्चना, सोना देवी, बाला देवी, गीता रानी, पूनम, पुष्पा, रचना, शिल्पा, नफीस, रईसा, बिना नगर, राधा, सर्वेश, नसरीन, मोबिना, मिथिलेश, नीतू, कमलेश, निर्मला, नीलम आदि मौजूद रहीं।