विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : अन्ना आंदोलन से जन्में आम आदमी की राजनीति करने निकले अरविन्द केजरीवाल ने ‘आम आदमी पार्टी’ बनाकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और कल उनकी अपने पद बने रहने की जिद ने भारतीय इतिहास में पहली बार एक मुख्यमंत्री को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
दरअसल ऐसा नहीं है कि उनसे पहले कोई मुख्यमंत्री जेल नहीं गया, लेकिन उनसे पहले जेल जाने वाले हर मुख्यमंत्री ने पद की गरिमा को बनाये रखा और जेल जाने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह चाहें चारा घोटाले में जेल जाने वाले लालू यादव हों, जिन्होंने जेल जाने से पहले अपने पद से इस्तीफा देकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया या फिर भूमाफिया से संबंधों एवं जमीनों पर कब्जे के आरोपी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हों जिन्होंने गिरफ्तारी से पहले राजभवन जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किये जाने और अदालत द्वारा उन्हें ईडी की रिमांड पर देने के बावजूद अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया और जेल से ही सरकार चलाने का एलान कर दिया।
आपको बता दें कि 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठे अन्ना हजारे के शिष्य के रूप में आंदोलन में सहभागिता निभाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाने का एलान कर दिया। उस समय उन्होंने दिल्ली की कांग्रेसनीत शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार के बड़े बड़े आरोप लगाये और दिल्ली में सरकार बनाने पर शीला दीक्षित व अन्य कांग्रेसियों को जेल भिजवाने का एलान किया। दिल्ली की जनता ने उन्हें अपने सिर पर बैठाया और दिल्ली की सत्ता उन्हें सौंप दी। लेकिन सत्ता पर बैठते ही वे अपने सभी वादे भूल गये और उन्होंने एक भी कांग्रेसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
जैसे ही कांग्रेस देश की सत्ता से गई और भाजपानीत मोदी सरकार सत्ता में आई तो केजरीवाल ने भी अपने आरोपों की तोप का मुंह कांग्रेस से हटाकर भाजपा की तरफ मोड़ दिया और कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों के भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधकर उन लोगों के साथ गठबंधन कर लिया। केजरीवाल जिस कांग्रेस का विरोध कर सत्ता में आये थे आज उसी कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली व अन्य जगहों पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यह उस दिल्ली की जनता से भी छल है जिस जनता ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार से तंग आकर उन्हें दिल्ली की गद्दी पर बैठाया था।
एक अलग राजनीति का दंभ भरने वाली केजरीवाल की पार्टी के नेता भष्टाचार की राजनीति का हिस्सा बन गये। सबसे पहले मई 2022 में ईडी ने केजरीवाल के मंत्री सत्येन्द्र जैन हवाला लेने देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। तब से वे कुछ दिनों की अंतरिम जमानत को छोडकर जेल में ही हैं।
ईडी ने केजरीवाल के दूसरे करीबी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब नीति घोटाले में 100 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। जो तब से जेल में ही बंद हैं।
इसके बाद शराब नीति घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने केजरीवाल के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को अक्टूबर 2023 में गिरफ्तार कर लिया। जो तब से ही जेल में बंद हैं।
आपको बता दें कि मोदी सरकार पर बदले की राजनीति का आरोप लगाने वाले इन नेताओं के खिलाफ ईडी के पास ऐसे सबूत हैं कि इन तीनों को ही सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल पाई है।
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा ईडी के लगतार 9 समन की अनदेखी करने के और हाईकोर्ट द्वारा उन्हें कोई राहत न मिलने के बाद ईडी ने शराब नीति घोटाले का मास्टरमाइंड बताते हुए परसों (शुक्रवार) उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि अपनी गिरफ्तारी को चैलेंज करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे केजरीवाल को चीफ जस्टिस ने 3 जजों की बेंच के पास जाने की सलाह दी। उक्त 3 जजों की बेंच द्वारा शराब नीति घोटाले की एक अन्य आरोपी तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पुत्री के कविता की जमानत कैंसिल करने से घबराये केजरीवाल ने अपनी अर्जी वापिस ले ली। जिसके बाद उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। जहां कई घंटों तक चली बहस के बाद कोर्ट ने केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया।
ईडी की रिमांड पर भेजे जाने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने एलान कर दिया कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही अपनी सरकार चलायेंगे। हालांकि संविधान उन्हें ऐसा करने की इजाजत देता है लेकिन इसे व्यवहारिक होने में संदेह है। क्योंकि उन्हें अपनी किसी भी गतिविधि के संचालन के लिए हर बार कोर्ट की इजाजत लेनी होगी। ऐसे में क्या कोर्ट रोज उनकी प्रार्थना सुनकर उन्हें कार्यों को करने की इजाजत देगा, इसमें संदेह है। यदि ऐसा करना पड़ा तो एक कोर्ट को अरविंद केजरीवाल की अर्जी के लिए हर समय खाली रहना होगा।
खैर अरविंद केजरीवाल का जो भी हो, अपने पद से इस्तीफा न देकर उन्होंने भारतीय इतिहास के पहले मुख्यमंत्री को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।