देहरादून और विकासनगर की पांच हजार बीघा भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक…

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से बड़ी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि देहरादून और विकासनगर की पांच हजार बीघा भूमि की खरीद-फरोख्त पर शासन ने रोक लगा दी है। ये रोक यहां चाय बागान और सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त पर लगाई गई है। जिला प्रशासन ने जिसके आदेश जारी कर दिए है। अब इस जमीन को न कोई खरीद पाएगा न ही बेच पाएगा।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार  चाय बागान की सीलिंग की जमीन विकासनगर और देहरादून में है। इस जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिये थे कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती है। 10 अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की भूमि की जो खरीद फरोख्त हुई है वह स्वतः ही समाप्त हो जायेगी और जमीनें सरकार में निहित हो जायेंगी। यदि ऐसा हुआ तो जमीन सरकार की होगी। इसके बावजूद भूमाफिया इस जमीन को को खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। प्रयासों से सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द होने से बचाया गया है। जिसपर अब एक्शन लेते हुए अपर जिला अधिकारी डा. शिव कुमार बरनवाल ने देहरादून और विकास नगर के सब रजिस्ट्रार को चाय बागान की विवादित भूमि की खरीद-फरोख्त रोक लगाने के आदेश दिए है।

इन आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश अधिनियम जोत सीमा आरोहण 1960 की धाटा 6 (10 घ और 6 (2) के उलघंन परिपेक्ष में उक्त भूमि के क्रय विक्रय पर रोक लगाई गई है। जबकि देहरादून जनपद के ग्राम जमनीपुर, उटनबाग, बदामावाल, अम्बाड़ी, जीवनगढ़, एनफील्ड, ग्रान्ट, ईस्टहोपटाउन, रायपुर, नत्थनपुर, चक टायपुर, आरकेडियाग्रांट, कांवली, हरबंशवाला, मिट्टी बेहड़ी, मलुकावाला, खेमादोज, मोहकमपुर खुर्द, बंजारावाला माफी, लाडपुर के विभिन्न खसरा नम्बरों को चाय बागान की भूमि मानते हुए ग्रामीण सीलिंग से छूट प्रदान की गई है।

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