देहरादून (महानाद) : उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा है कि जांच के नाम पर मरीजों के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जायेगा। राज्य में अवैध ढंग से चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को सत्यापन अभियान चलाने के निर्देश दे दिये गये हैं। विशेष रूप से मैदानी जनपदों में मानकों के विपरीत संचालित पैथोलॉजी सेंटरों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश संबंधित जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) को दिये गये हैं।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उन्हें विभिन्न माध्यमों से अवैध पैथोलॉजी लैब संचालन की शिकायतें मिली हैं। शिकायतकर्ताओं ने जिन तथ्यों को सामने रखा है, वह मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंताजनक है। पैथोलॉजी लैब में जांच के नाम पर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ न हो, इसके लिये प्रदेशभर में निजी पैथोलॉजी लैब्स का सत्यापन किया जायेगा।
धन सिंह रावत ने बताया कि अनाधिकृत रूप से संचालित पैथोलॉजी लैब व ब्लड कलेक्शन सेंटरों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी। इस संबंध में उन्होंने विभागीय अधिकारियों को प्रदेशभर में सत्यापन अभियान चलाने को कहा है। उन्होंने बताया कि विशेषकर देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जनपद में बड़ी संख्या में अवैध रूप से पैथोलॉजी लैब व सेंटरों के संचालन की शिकायतें मिली हैं, जिनमें मानकों के अनुरूप टेक्निकल स्टाफ व डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, ये निजी पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत भी पंजीकृत नहीं है। उन्होंने कहा कि अवैध पैथोलॉजी केन्द्रों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी ताकि मरीजों के रक्त जांच की प्रमाणिकता और गुणवत्ता को बनाये रखा जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में पैथोलॉजी लैब के संचालन के लिये क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण होना आवश्यक है। इसके साथ ही मेडिकल प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दस्तावेज भी होने जरूरी है। पैथोलॉजी लैब में कार्यरत डॉक्टर का उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल और टेक्नीशियनों का रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड पैरामेडिकल काउंसिल में होना अनिवार्य है।
रावत ने कहा कि जो पैथोलॉजी लैब और ब्लड कलेक्शन सेंटर मानकों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।