सलीम अहमद
रामनगर (महानाद) : क्षेत्र के ग्राम पूछड़ी, नई बस्ती में बसे हजारों ग्रामवासियों को वन विभाग ने 3 दिन में जगह खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। जिसके बाद पूरे ग्राम में हड़कंप मच गया है।
आपको बता दें कि वन विभाग द्वारा नई बस्ती ग्राम पूछड़ी में कल एलाउसमेंट करवाया गया कि वे 3 दिनों के भीतर अपने-अपने घर खाली कर दें वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। जैसे ही यह एलान लोगों ने सुना तो पूरी बस्ती में हड़कंप मच गया, उनकी भूख प्यास उड़ गई। वे सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर वह जाएंगे कहां? लोगों ने बताया कि वे करीब 50-60 वर्ष से यहां निवास कर रहे हैं। उनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, पानी के कनेक्शन सब है। क्षेत्र में सरकारी स्कूल भी बनाए गए हैं। उनका कहना है कि यदि हम अतिक्रमणकारी हैं तो हमें मूलभूत सुविधाएं क्यों दी गई हैं?
वन विभाग के ऐलान के बाद आक्रोशित ग्रामवासी हजारों की तादाद में एकत्रित हुए। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ युवा नेता जगमोहन सिंह बिष्ट मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए ग्राम पूछड़ी, नई बस्ती के लोगों को अतिक्रमणकारी कहकर हटाने की बात कही जा रही है। उन्होंने ग्रामवासियों को आश्वासन दिया कि वह उनकी हर संभव मदद करेंगे और उनकी बातों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को बदनाम करने का षड्यंत्र सफल होने नहीं दिया जाएगा ।
वहीं, पूर्व ब्लाक प्रमुख संजय नेगी एवं एस लाल के नेतृत्व में हजारों की तादाद में ग्रामवासी डीएफओ कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने जमकर नारेबाजी की, परंतु कोई भी अधिकारी या कर्मचारी के न मिलने पर ज्ञापनको डीएफओ कार्यालय पर चस्पा कर दिया गया। इसके पश्चात उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल के द्वारा उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
इस दौरान ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने कहा कि कुछ दिन पूर्व धामी सरकार की ओर से एक फरमान जारी किया गया था। संबंधित विभाग अवैध मजार मंदिर आदि जो भी अतिक्रमण है उसको हटाया जाए। उन्होंने कहा कि मजार, मंदिर आदि तोड़े गएै वह अतिक्रमण की जद में थे परंतु 50-60 वर्षों से ग्राम पूछुड़ी में रह रहे ग्रामवासियों को 3 दिन का अल्टीमेटम देकर उन्हें बेघर करने को कहा गया है जिसके चलते ग्रामवासियों पर बेघर होने का संकट मंडरा रहा है तथा भय का माहौल हैै सरकार लोगों को बेघर करने का प्रयास कर रही है जो किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार उनका पुनर्वास करे, यदि ग्रामवासियों के आशियाने उजड़े तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
अब देखना यह है कि क्या चलेगा बुलडोजर चलेगा या होगा कोई समाधान। यह तो आने वाला समय ही बताएगा। यदि ग्रामवासी अतिक्रमण कारी है तो उनको अतिक्रमणकारी बनाया किसने। जिस समय अतिक्रमण हो रहा था, कौन अधिकारी/कर्मचारी तैनात थे। लोगों का कहना है कि उन कर्मचारियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध पहले कार्यवाही होनी चाहिए। आखिर इन कर्मचारियों व अधिकारियों के विरुद्ध क्यों कार्यवाही नहीं हो पाती। गरीब लोगों को कब तक अतिक्रमणकारी कहकर उनको उजाड़ा जाता रहेगा, यह एक सोचनीय प्रश्न है।