विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। 14 फरवरी को मतदान होना है तो 12 फरवरी की शाम को चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा। वैसे भी कोरोना प्रतिबंधों के कारण इस बार चुनावी प्रचार फीका ही रहा है। वे नेता जो जनता का रुख अपनी पार्टी की ओर मोड़ने का माद्दा रखते हैं, इस बार च्रनावी रैलियों को संबोधित ही नहीं कर पाये हैं। इसलिए इस बार कहीं न कहीं काशीपुर सीट पर चुनाव पार्टियों के बजाये प्रत्याशियों के ईई-गिर्द घूमता दिखाई दे रहा है।
ऐसे मंे अब वोटर को फैसला करना है कि वे काशीपुर में 4 प्रमुख पार्टियों (आम आदमी पार्टी, भाजपा, कांगेस, बसपा) के खड़े प्रत्याशियों में किसको काशीपुर का विधायक बनने का मौका देते हैं। दरअसल इस बार पार्टी के दावों, नारों की ज्यादा गूंज होने के कारण जनता को वह काम करना पड़ेगा जोकि उसे असल में हर चुनाव में करना चाहिए।
इस बार प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता को भी चौंकाते हुए सभी अंदरुनी सर्वे, पर्यवेक्षकों की राय को दरनिकार करते हुए एसेे चेहरों को टिकट दिया है। जिनके पिता तो राजनीति के बड़े खिलाड़ी रहे हैं लेकिन वे दोनों चुनाव से पहले कभी सामाजिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखाई नहीं दिये हैं।
भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक सिंह चीमा 4 बार के काशीपुर से विधायक अपने पिता हरभजन सिंह चीमा के कारण भाजपा के प्रत्याशी बनाये गये हैं। भाजपा की लोकप्रियता तथा मोदी लहर के कारण बार-बार चुनाव जीतने वाले हरभजन सिंह चीमा पर अपने विकास कार्यों के बारे में गिनाने को कुछ नहीं हैै वे खुद और भाजपा कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी के नाम के सहारे चुनाव प्रचार में जुटे हैं और फिर एक बार भाजपा को जिताने की अपील कर रहे हैं। पार्टी के शहर के सभी बड़े चेहरे चुनाव प्रचार से दूर हैं।
बता दें कि मिली जानकारी के अनुसार भाजपा का अकाली दल से गठबंधन होने के कारण माना जाता था कि चीमा चाहें जीते चाहें हारें लेकिन टिकट उन्हें ही मिलेगा। लेकिन इस बार अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को आस जगी थी कि इस बार पार्टी भाजपा कार्यकर्ता को ही टिकट देगी। लेकिन चुनाव से कुछ समय पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने अपने पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को भाजपा मेें शामिल करा दिया और भाजपा आलाकमान से टिकट लेने में कामयाब हो गये।
वहीं, आम चर्चा है कि कृषि कानूनों के कारण सिख समाज भाजपा से नाराज था और इसी को साधने के लिए भाजपा ने त्रिलोक सिंह चीमा को अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं और आम लोगों का कहना है कि यदि किसी सिख को टिकट देना था भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चंडोक चीमा पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा से बेहतर प्रत्याशी साबित होते।
उधर, काशीपुर शहर में बनने वाले दो ओवर ब्रिज विधायक हरभजन सिंह चीमा के विकास की गवाही दे सकते थे। लेकिन ये दोनों ब्रिज काशीपुर के विनाश की तस्व्ीर बन गये। रामनगर रोड पर बन रहे रेल ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य तो कई साल बंद रहा, अब दोबारा से शुरु हुआ है। वहीं, महाराणा प्रताप चौक पर पिछले 5 सालों से बन रहा रेल ओवर ब्रिज केवल इतना बन पाया कि उससे एक तरफ को आवागमन शुरु हो गया। लेकिन वो लोगों को जिस मुसीबत से बचाने के लिए बनाया जा रहा था, वह आज भी मुंह बायें खड़ी है। रेलवे क्रासिंग पर लगने वाले जाम से 5 साल भी जनता को कोई राहत नहीं मिल पाई है। इन पांच सालों में ब्रिज निर्माण की जद में आये सैंकड़ों दुकानदारों का व्यापार चौपट हो गया। वहीं लोग शहर के अंद आने से कतराने लगे। ब्रिज के कारण बने गड्डों में गिरकर कितने लोग चोटिल हो गये। वहीं विधायक हरभजन सिंह चीमा ब्रिज का समय से निर्माण तो क्या करा पाते। उसके दोनों और की सर्विस रोड भी न बनवा पाये।
ऐसे में मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर किसी ने आकर्षित किया तो वह थे राजनीति में अपनी शुरुआत करने वाली आम आदमी पार्टी नेता दीपक बाली। ‘धरने की राजनीति नहीं काम की राजनीति’ का नारा लेकर 1.5 साल पहले मैदान में उतरे दीपक बाली ने सबसे पहले शहर के अंदर जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके इंदिरा गांधी स्कूल का जीर्णोद्धार करवाया। फिर वे ओवर ब्रिज निर्माण, उसके आसपास के नाला निर्माण और सर्विस रोड निर्माण की मुहिम में जुटे। जहां नाले में गिरकर चोटिल हो रहे लोगों को बचाने के लिए उन्होंने अपने पैसे से नाले का निर्माण करवाया। वहीं ओवर ब्रिज निर्माण की गति बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। खुद जनता का मानना है कि दीपक बाली की सक्रियता के कारण ही ओवर ब्रिज के दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण हो पाया।
उधर, कोरोना काल में सरकारी अस्पताल में कोविड वार्ड तथा उसमें स्टाफ का भी इंतजाम किया। आप कार्यकर्ताओं की टीमों ने लोगों के घरों को सेनेटाइज किया। कोरोना संक्रमितों को भोेजन उपलब्ध करवाया। जिन सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की जिम्मेदारी विधायक चीमा की थी। वो जिम्मेदारी भी दीपक बाली ने बखूबी निभाई। और आम आदमी पार्टी के कार्यालय में सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए लोगों को रजिस्ट्रेशन करवाया। जिससे वे लाभांवित हो रहे हैं।
दीपक बाली की सक्रियता और उनके जज्बे ने शहर में उम्मीद पैदा की है कि 20 साल से पिछड़ रहे काशीपुर को वे गति दे सकतेे हैं। जहां आम आदमी आम आदमी पार्टी के साथ खड़ा दिख रहा है वहीं प्रुबुद्ध वर्ग भी इस बार चुपचाप दीपक बाली के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। मतदाताओं का मूड भांपने से लग रहा है कि दीपक बाली इस बार चीमा के 20 साल का वर्चस्व समाप्त करने में कामयाब हो जायेंगे।