विकास अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट
महानाद डेस्क : काशीपुर में जेल परिसर में पार्किंग बनाने के लिए किये गये भूमि पूजन को लगभग साढ़े तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक ग्रामीण निर्माण विभाग ने इसको बनाने की शुरुआत भी नहीं की है। लगता है ग्रामीण निर्माण विभाग इसके निर्माण के लिए रेल ओवर ब्रिज का उदाहरण लेकर इसे भी उसी की तरह ‘बीरबल की खिचड़ी’ बनाने का मन बना चुका है।
जी हां, आपको बता दें कि लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले 13 मार्च 2024 को काशीपुर में जेल परिसर में मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने के लिए भूमि पूजन किया गया था तथा इसके लिए 19.82 करोड़ रुपये की धनराशि भी अवमुक्त कर दी गई थी। चुनाव आचार संहिता से पहले भूमि पूजन होने और धनराशि अवमुक्त होने के बाद इसके निर्माण को लेकर कोई पाबंदी थी लेकिन ग्रामीण निर्माण विभाग, रुद्रपुर ने इसके निर्माण के लिए कोई पहल नहीं की।
अब विगत 7 जून 2024 को काशीपुर से भाजपा विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने इसके निर्माण को लेकर जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को पत्र लिखकर कहा है कि शासन द्वारा पुरानी जेल परिसर में बहुमंजिला पार्किंग का निर्माण करने की स्वीकृति दी गई थी। इसके लिए आवास विभाग को 19.82 करोड़ रुपये की डीपीआर की स्वीकृति देते हुए धन भी अवमुक्त किया जा चुका है। इसका भूमि पूजन भी 13 मार्च 2024 को सम्पन्न हो चुका है, लेकिन इसका निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया है। जबकि इसे बनाने के लिए 1 वर्ष की समय सीमा तय की गई है।
विधायक चीमा ने बताया कि उनके द्वारा जानकारी लेने पर ग्रामीण निर्माण विभाग ने उन्हें बताया कि वहां पर पुलिस अधीक्षक का कार्यालय अभी भी पूर्व की भांति संचालित होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। विधायक ने उक्त जमीन ग्रामीण निर्माण विभाग को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया है।
अब आपको बता दें कि जिस तरह से ग्रामीण निर्माण विभाग ने अभी तक काम की शुरुआत नहीं की है उससे केवल यह लग रहा है कि उसका इसे बनाने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। क्योंकि यदि एसपी ऑफिस खाली भी हो जाये तो वह अगले दिन इस पार्किंग का निर्माण नहीं कर देगा। दूसरे एसपी ऑफिस को कहीं ओर शिफ्ट नहीं होना है बल्कि उन्हें पार्किंग एरिया में ही इसका निर्माण करके देना है।
ऐसे में यदि ग्रामीण निर्माण विभाग को इसे तय समय में बनाने की मंशा होती तो यहां एसपी ऑफिस से अलग भी इतनी जगह है कि वह पहले उस जगह में एसपी आफिस बना सकता था। लेकिन उसे 3.5 महीने गुजार दिये और एक ईंट लगाना तो दूर कोई खुदाई भी शुरु नहीं की है।
आपको बता दें कि यहां से केवल एसपी ऑफिस को ही नहीं हटना है। यहां सीपीयू और एसओजी का भी ऑफिस है। यहा एसपी सर्किल का बहुत बड़ा कंट्रोल रूम भी स्थित है जिसके कैमरों के जरिये दूर-दूर तक क्षेत्र की निगरानी की जाती है। यदि इसे कहीं और शिफ्ट करना पड़ा तो इसके लिए लगभग 30-35 लाख रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। क्योंकि यहां कैमरों की वायरिंग हो रही है, डीवीआर लगी हैं। उसके लिए सेटअप लगाया हुआ है।
एक यक्ष प्रश्न यह है कि यदि एसपी ऑफिस को यहां से हटाया गया तो शिफ्ट कहां किया जायेगा, यह तय नहीं है। यदि किराये के भवन में शिफ्ट किया गया तो इस 30-35 लाख रुपये के खर्च के अलावा उस भवन का किराया कौन देगा और फिर जब यह ऑफिस वापिस लौटेगा तो फिर से 30-35 लाख रुपये कहां आयेंगे।
इसलिए ज्यादा अच्छा है कि ग्रामीण निर्माण विभाग जहां अभी वर्तमान में पार्किंग संचालित की जा रही है, वहां पर इस एसपी ऑफिस का निर्माण करे और फिर ऑफिस शिफ्ट होने के बाद अन्य जगह में पार्किंग का निर्माण करना शुरु करे। वरना इस उहापोह में इस बहुमंजिला पार्किंग का निर्माण 1 साल तो क्या 10 साल में भी न हो पायेगा और यह भी आरओबी निर्माण की तरह एक और ‘बीरबल की खिचड़ी’ साबित होगा।