विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : कल भाजपा ने भाजपा के वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा के सुपुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं कांग्रेस में भी वर्तमान दावेदारों को दरकिनार कर अचानक से पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के सुपुत्र नरेंद्र चंद्र को टिकट देने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
ऐसे में भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में बगावती सुर दिखने शुरु हो गये हैं। सोशल मीडिया पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता ही आलाकमान के निर्णयों पर सवाल उठाने लगे हैं।
बता दें कि काशीपुर विधानसभा सीट से 4 बार के भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा पर क्षेत्र का विकास न करने के आरोप लगते रहे हैं। चीमा क्षेत्र में उद्योग धंधों को लाने में नाकाम रहे हैं। पिछले 20 सालों मंे काशीपुर की आर्थिकी को मजबूत करने वाली सूत मिल और शुगर मिल दोनों बंद हो चुकी हैं। पिछले लगभग 5 सालों से बन रहे रेल ओवर ब्रिज आज भी जनता के लिए मुसीबत बने हुए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कोई बड़े सरकारी संस्थान नहीं खुल पाये हैं। सरकारी अस्पताल उपजिला चिकित्सालय बनने के बावजूद लोगों को चिकित्सा देने में नाकाम साबित हुआ है। जिस कारण सोशल मीडिया में लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि भाजपा ने अब चीमा के पुत्र को टिकट देकर काशीपुर का विकास न होने देने की ठान ली है।
वहीं, जो लोग इस बार मान रहे थे कि इस बार तो टिकट पार्टी के कार्यकर्ता को ही मिलेगा (विधायक चीमा शिरोमणी अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं और वे अकाली दल के कोटे से भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ते आये हैं) उनको भी गहरा धक्का लगा है। और उनके करीबीयों द्वारा भाजपा पर अपने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने के आरोप लगाये जा रहे हैं।
उधर, काशीपुर में कांग्रेस को पुर्नजीवित करने वाले संदीप सहगल एडवोकेट हरीश रावत की नाराजगी के कारण टिकट की रेस से बाहर बताये जा रहे हैं। और अचानक से पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के सुपुत्र नरेंद्र चंद को पार्टी से चुनाव लड़ाये जाने की सुगबुगाह तेज हो गई है। वहीं पूर्व मेयर प्रत्याशी मुक्ता सिंह भी टिकट की रेस में अव्वल नंबर पर दिखाई दे रही थीं और क्षेत्र में लगातार कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने में जुटी हैं। ऐसे में लगता है कि गुटों में बंटी काशीपुर कांग्रेस एक बार फिर से भितरघात के कारण सत्ता की रेस से दूर हो जायेगी।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार नये प्रत्याशी को अस्वीकार कर रहे हैं। एक कार्यकर्ता ने तो लगातार हार के कारण बताते हुए लिखा है कि –
1987 से 2017 तक काशीपुर में कांग्रेस के हार के कारण। ( निजी विचार) लेकिन 99.99 प्रतिशत सत्य।
1987 – बाहरी प्रत्याशी के कारण।
1989 – निष्क्रिय प्रत्याशी के कारण।
1991- राम लहर के कारण।
1993- बाबरी मस्जिद के कारण ।
2002- दुर्भाग्यवश ।
2007 – बागी खड़े होने के कारण ।
2012- ओवर कॉन्फिडेन्स के कारण ।
2017- प्रत्याशी का जनता व कार्य करता से दूरी बनाए रखने के कारण।
अब बात करते हैं आम आदमी पार्टी से काशीपुर सीट के लिए प्रत्याशी दीपक बाली की।
अक्टूबर 2020 को आम आदमी पार्टी के जरिये काशीपुर की राजनीति में कदम रखने वाले उद्यमी दीपक बाली आप में शामिल होते ही संगठन विस्तार में जुट गये थे। उन्होंने नारा दिया कि वे राजनीति करने नहीं, राजनीति बदलने आये हैं। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले शहर में मेयर के घर के पास स्थित जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंचे इंदिरा गांधी स्कूल का कायाकल्प करवाया।
इसके बाद उन्होंने धरना-प्रदर्शन करने की बजाये जनता की समस्याआंे को हल करने की ओर ध्यान दिया। उन्होंने इसके लिए लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कैम्प लगाये। कोरोना काल में यदि लोगों के कोई काम आया तो उसमें पहला नाम दीपक बाली का है। जिसने जहां अस्पताल के लिए तरस रहे लोगों को बैड दिलवाये वहीं सरकारी अस्पताल में 25 बेड के कोविड वार्ड को शुरु करवाया तथा उसमें डॉक्टर से लेकर स्टाफ तक मुहैया करवाया। अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से कोविड संक्रमितांे को खाना पहुंचाया। उनके घरों को सेनेटाइज करवाया।
शुरु से ही उनके ही प्रत्याशी बनने के भरोसे के कारण उन्हों अपना प्रचार प्रसार मजबूती के साथ शुरु किया। आज वे क्षेत्र के गांव-गांव में पहुंच चुके हैं। बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी के न उतरने और कांग्रेस के क्षेत्र में कमजोर दिखाई देने के कारण जहां मुस्लिम मतदाता इसबार आम आदमी पार्टी के साथ दिख रहा है। वहीं आप की योजनाओं की गारंटी जैसे बिजली फ्री, मुफ्त तीर्थयात्रा, बेरोजगारों और महिलाओं को पेंशन, स्कूलों के कायाकल्प का वादा आदि के कारण निचले तबके में आप का जनाधार बढ़ा है।
उधर, बाली के राजनीतिक कौशल के कारण वे काशीपुर में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आम आदमी पार्टी की धुरी काशीपुर को बनाने में सफल रहे हैं।