काशीपुर : धूमधाम से मनाया गया गीता जयंती महोत्सव

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : संस्कृत भारती काशीपुर द्वारा गीता जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन पूर्वक भगवती सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। इसके बाद संस्कृत विद्यालय के छात्रों द्वारा वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।

संस्कृत भारती के प्रांत शिक्षण प्रमुख प्रोफेसर राघव झा ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का परिचय कराया। जनपद संयोजक डॉ. जगदीश चन्द्र पाण्डेय ने सभी अतिथियों को बैज पहनाकर उनका स्वागत किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भौतिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महिपाल सिंह उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. मृत्युंजय सिन्हा उपस्थित रहे । संस्कृत भारती के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।

इसके बाद हरिद्वार से आये हुए संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री गौरव शास्त्री ने संस्कृत भारती के कार्य एवं उद्देश्यों से लोगों को परिचित कराया।उन्होंने राष्ट्रीयता के संरक्षण हेतु सभी को संस्कृत से जुड़ने का आह्वान किया। सभी उपस्थित लोगों के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय का पाठ किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राघव झा ने किया उन्होंने सभी लोगों को गीता के महत्व के विषय में विशिष्ट जानकारियां भी प्रदान कीं।

छात्र श्रीमद्भगवद्गीता के अध्ययन से जुड़ें, इस हेतु 2 दिसम्बर को संस्कृत भारती द्वारा गीता प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था, जिसमें विभिन्न विद्यालयों के छात्रों के द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रतियोगिता में राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र योगेश भारद्वाज ने प्रथम पुरस्कार स्वरूप 2100 रु., गुरुकुल फाउंडेशन स्कूल के छात्र श्रीकृष्ण झा ने द्वितीय पुरस्कार 1500 रु. तथा सनातन सत्संग संस्कृत विद्यालय के छात्र आयुष मिश्रा ने तृतीय पुरस्कार 1100 रु. एवं वरिष्ठता क्रम में शीर्षस्थ अन्य 3 प्रतिभागी छात्रों ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। निर्णायक मंडल में विपिन कांडपाल, ममता शर्मा एवं डॉ. जगदीश चंद्र पांडे की सराहनीय भूमिका रही।

मुख्य वक्ता आचार्य कीर्तिबल्लभ मैंदोलिया ने गीता के अनेक रहस्यों से सभा को अवगत कराया। उनके वक्तव्य से उपस्थित सभी जन मंत्रमुग्ध हो गए।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर महिपाल सिंह ने कहा कि संपूर्ण मानव सभ्यता को गीता अध्ययन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता किसी धर्म विशेष से संबद्ध न होकर संपूर्ण मानव सभ्यता की मार्गदर्शिका है , जो हमें मनुष्य बनना सिखाती है। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मृत्युंजय कुमार सिन्हा ने श्रीमद्भगवद्गीता को मानव जीवन की अमूल्य निधि बताया। उन्होंने कहा कि समाज में जितनी भी समस्याएं उपस्थित हैं वह सभी गीता के अध्ययन से दूर हो सकती हैं। इस अवसर पर पर उन्होंने कहा कि गीता का प्रत्येक श्लोक उसका एक एक शब्द अपने आप में एक विशिष्ट अर्थ को धारण करता है। मानव यदि गीता का प्रतिदिन अध्ययन चिंतन एवं मनन करता रहेगा तो श्रीमद्भगवद्गीता के सार तत्व को प्राप्त कर वह जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होगा।

संस्कृत भारती के वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ. जितेंद्र पंत ने समाज में गीता की उपयोगिता पर अनेक तथ्य प्रस्तुत किए। वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ. जितेंद्र पंत ने सभी आये हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम में हरीश, उमा सैनी, ज्योति, ममता सैनी, योगेश भारद्वाज, निशान्त, निष्कर्ष आदि उपस्थित रहे।