काशीपुर : एक साल में धंसने/झड़ने लगा 7 साल में बनने वाला रेल ओवर ब्रिज

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : महाराणा प्रताप चौक पर बीरबल की खिचड़ी की तरह 7 साल में बन कर तैयार हुआ रेल ओवर ब्रिज महज 1 साल के भीतर धंसने और झड़ने लगा है। यदि यह पूरी तरह गिर गया या जनता के लिए बंद कर दिया गया तो काशीपुर की जनता का भगवान ही मालिक है।

आपको बता दें कि कल रात्रि लगभग 10.30 बजे रेल ओवर ब्रिज के एक हिस्से से पत्थर के टुकड़े झड़ कर नीचे गिर गये। गनीमत यह रही कि उस समय उसकी चपेट में कोई नहीं आया वरना कोई दुर्घटना भी घट सकती थी। वहीं जिस एरिये से पत्थर के टुकड़े झड़े हैं उस एरिये के ऊपर सड़क के हिस्सा भी काफी धंस गया है। संभवतया इसी कारण नीचे से पत्थर झड़े हैं।

बता दें कि जब से रेल ओवर ब्रिज बनना शुरु हुआ तभी से इसमें कुछ न कुछ होता रहता है। बनते समय इसके बेढंगे डिजाईन की चर्चा होती रही तो बनने के बाद से इसके कमजोर होने की चर्चायें भी चलती रहीं। जबकि एनएच ने लोड टेस्ट करने के बाद ही इस रेल ओवर ब्रिज को जनता के लिए खोला था। वहीं रामनगर रोड से इसका ढलान इतना तीखा है कि बड़े वाहनों के पीछे इस पर चढ़ने वाले वाहनों को डर बना रहता है कि कहीं बड़ा वाहन बैक न मार दें और वे उसकी चपेट में न आ जायें।

फिलहालमौके पर पहुंचे तहसीलदार पंकज चंदोला एवं कोतवाल अमर चंद शर्मा ने रेल ओवर ब्रिज के क्षतिग्रस्त ऊपर और नीचे के हिस्से बैरिकेटिंग करके बंद कर दिया है। रेल ओवर ब्रिज को बड़े वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। लेकिन यह ओवर ब्रिज बंद कर दिया गया तो क्षेत्र की जनता को 7 साल के लंबे इंतजार के बाद जो जाम से राहत मिली है वह खत्म हो जायेगी और आगामी गर्मियां जनता के लिए बुरी बीतेंगी। क्योंकि एक तरफ चीमा चौराहे को बंद कर रखा है। उस पर आये दिने रेलवे का कार्य होने के कारण क्रासिंग को बंद कर दिया जाता है। रामनगर रोड पर बनने वाला रेल ओवर ब्रिज तो पता ही नहीं है कि वह कब तक तैयार होगा।

उधर, तहसीलदार पंकज चंदोला ने बताया कि मामले की जानकारी एनएच व अन्य उच्चाधिकारियोें को दे दी गई है। एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जा रहा है जो रेल ओवर ब्रिज की जांच करेगी।

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