प्रीति धारा
चंडीगढ़ (महानाद) : समाज सेवा की परिभाषा ना तो आपको समझाने से आयेगी ना ही बतलाने से आएगी। जब तक यह भावना आपके हृदय की गहराई से ना निकले तब तक आप समाज सेवा नहीं कर सकते। अखबारों में फोटो छपने से आप समाज सेवक या सेविका नहीं बन सकते। यह कहना है जानी मानी समाज सेविका व अदाकार रितु वर्मा सिंदवानी का।
उन्होंने कहा कि भारत देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। क्या कभी यह बात महसूस की है कि हम किस ओर जा रहे हैं। नाम और शोहरत हम अपनी जिंदगी में कभी भी हासिल कर सकते हैं। लेकिन कभी किसी मासूम या स्लम वर्ग के लोगों के दो आंसू पोंछ पाये हम, शायद नहीं। आखिर क्यों? यह बात जब तक हम गम्भीरता से नहीं समझ पायेंगे तब तक हमारे द्वारा किये गये सभी समाज सेवा के कार्य किसी काम के नहीं हैं।
आज देश में इतने जरूरतमन्द लोग नहीं हैं। जितनी हमारे देश में समाज सेवी संस्थायें काम कर रही हैं। आज देश किस ओर भाग रहा है। इस बात पर ध्यान दें। सरकार बोल रही है कि हम 21वीं सदी की ओर जा रहे हैं। देश का युवा बेरोजगार घूम रहा है, नशे में डूबता जा रहा है, जवान लड़कियों के साथ हर दिन कोई ना कोई हादसा हो रहा है, दिन दहाड़े लूटपाट हो रही है। क्या ये है 21वीं सदी। नहीं चाहिये ऐसी सदी। घर से काम करने गया परिवार का सदस्य शाम को जब तक घर नहीं आ जाता तब तक पूरा परिवार परेशान रहता है। आखिर ये कौन सी है 21 वीं सदी।
रितु वर्मा सिंदवानी ने कहा पिछले डेढ़ वर्ष से दुनिया कोविड का शिकार हो रही है। सभी संस्थायें अपने अपने तरीके से समाज सेवा कर रही हैं। कोई जरूरतमन्द लोगों को राशन बांट रहा है तो कोई कोविड से बचने के लिये किटंे बांट रहा है। लेकिन कोई भी संस्था ये नही समझा पा रही कि कोविड से कैसे बचा जा सकता है। सरकार पुलिस, लाॅकडाउन के माध्यम से कोविड पर नियंत्रण करने के लिये कार्य कर रही है। डॉक्टर, नर्से दिन रात मेहनत कर अपने कार्य से भरपूर मेहनत कर रहें हैं। एक हम हैं कि सब नियमों को जानते हुए उसे अनदेखा कर इस कोरोना वायरस को बढ़ावा देने में लगे हैं। आखिर क्यों?
उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है देश, धर्म, नारी के प्रति अपनी मनसिकता बदलने का। समाज सेवा करते वक्त यह ध्यान जरूर रखा जाना चाहिये कि समाज मे आपके द्वारा किये जा रहे कार्यों से एक सन्देश जाये और समाज आपके द्वारा दिये गये सन्देश से कुछ सीखे।