जसपुर (महानाद) : नाम वापसी के बाद अब चुनावी रण सज चुका है। ऐसे में अब देखना है कि जनता इस बार के चुनाव में जीत का सेहरा किस के सिर पर बांधती है।
चुनावी मैदान में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है। जसपुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इनका झुकाव जिस ओर हो जायेगा उस के वारे न्यारे होने की संभावना है।
भाजपा प्रत्याशी डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल इस बार जसपुर में भाजपा का कमल खिलाने में जुटे हैं। हांलांकि वे 3 बार विधायक रह चुके हैं लेकिन पहली बार निर्दलीय तथा दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुने गये हैं। 2017 का चुनाव उन्होंने भाजपा से लड़ा और मुस्लिम मतदाताओं का साथ छूटते ही वे चुनाव हार गये। मिली जानकारी के अनुसार इस बार जसपुर विधानसभा से कुछ क्षेत्र काशीपुर में जुड़ गया है जोकि डॉ. सिंघल का वोट बैंक माना जाता था। वहीं भाजपा प्रत्याशी होने के कारण जहां मुस्लिम मतदाता उनके साथ नहीं हैं वहीं किसान आंदोलन के इफेक्ट के कारण इस बार सिख वोट मिलने की संभावना भी कम लग रही है। वहीं, शहर में लोग इस बार अपने 3 बार आजमाये हुए सिंघल को विधायक बनाना चाहते हैं। लेकिन डॉ. सिंघल की राह आसान नहीं लगती।
उधर, कांग्रेस के टिकट से विधायक बने आदेश चौहान एक बार फिर कांग्रेस के टिकट से मैदान में हैं। और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। विधानसभा चुनावों में मुस्लिम कांग्रेस के पांरंपरिक वोटर माने जाते हैं। इसलिए उन्हें उम्मीद है कि इस बार भी मुस्लिम मतदाताओं को आशीर्वाद उन्हें ही मिलेगा।
वहीं, विगत 5 वर्षों में विधायक आदेश चौहान हर मोर्चे पर जनता के साथ दिखाई दिये हैं। जनता की समस्या के निबटारे के लिए वे जमीन पर, सरकारी मंचों पर अधिकारियों/मंत्रियों/मुख्यमंत्रियों सब से भिड़ते दिखाई दिये हैं। जनता के बीच रहने वाले विधायक आदेश चौहान को एक बार फिर से यदि मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिला तो वे फिर से ‘हीरो’ बनने में कामयाब हो सकते हैं।
उधर, इस बार प्रदेश में एक नई पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ ने मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज की है। और पार्टी ने एक मुस्लिम चेहरे ‘डॉ. यूूनुस चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी ने जसपुर में तेजी से अपने संगठन का विस्तार किया है और एक मुस्लिम को टिकट देकर मुस्लिम वर्ग को एक बेहतर विकल्प देने की कोशिश की है। वहीं आम आदमी पार्टी द्वारा हर महिला को 1000 रुपये महीना तथा 300 यूनिट बिजली फ्री देने की गारंटियों का असर गैर मुस्लिम खासकर महिलाओं में भी बखूबी देखने को मिल रहा है। यदि जसपुर सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने वाला मुस्लिम समुदाय आम आदमी पार्टी को एकतरफा वोट करता है तो इस बार परिणाम अप्रत्याशित भी रह सकते हैं।