महानाद डेस्क : यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश में भी बुलडोजर ने अपराधियों पर कहर ढाना शुरु कर दिया है। लेकिन तेज गति से चलने के बावजूद मामा (शिवराज सिंह चौहान) का बुलडोजर यूपी के बाबा (आदित्यनाथ योगी) का मुकाबला नहीं कर पा रहा है।
बता दें कि खरगोन दंगे के बाद 24 घंटे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुलडोजरों ने दंगाइयों की 45 मकान-दुकानें ध्वस्त कर दीं। आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले ही उनके घरों पर बुलडोजर चला दिए गए। सरकारी सूत्रों के अनुसार पिछले 2 साल में गुंडों और भूमाफियाओं के कब्जे से 15 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई जा चुकी है। जिसकी बाजार कीमत लगभग 12 हजार करोड़ रुपए है। शिवराज सरकार ने बुलडोजर चलाने के साथ ही 188 भूमाफिया पर रासुका लगाई है तो 498 को तड़ीपार भी किया है।
खरगोन में हुई कार्रवाई के बाद शिवराज के बुलडोजर भी देशभर में चर्चा का विषय बन गये हैं। इसके बावजूद बुलडोजर बाबा यानी यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से आगे नहीं निकल पा रहे हैं। आंकड़ों की बात करे तो मामा ने बाबा के मुकाबले करीब 6 गुना ज्यादा प्रोपर्टी गुंडों से छुड़ाई है। शिवराज सरकार ने 12 हजार करोड़ की संपत्ति मुक्त कराई है तो योगी सरकार ने 1848 करोड़ की ही संपत्ति मुक्त कराई है।
सवाल ये है कि सॉफ्ट स्पोकन मामा इतना क्यों बदल गए हैं? क्या वोटर के दिल के दरवाजे तक पहुंचने के लिए बुलडोजर की सवारी जरूरी है? अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बुलडोजर वाला यूपी मॉडल एमपी में दोहराना क्या आसान होगा? आखिर यूपी की जीत के बाद शिवराज के भीतर बुलडोजर इमेज के लिए इतनी बेचैनी क्यों है? लेकिन क्या कारण है कि बुलडोजर लोकप्रियता में बाबा मामा से कहीं आगे दिखाई देते हैं।
इसके लिए आपको दोनों की कार्रवाई के तरीकों पर देखना होगा। योगी बाबा ने जो कार्रवाईयां की हैं, वे माफिया और बड़े गुंडों पर की है। एनकाउंटर किए हैं जबकि शिवराज के साथ ऐसा नहीं है। उनकी गिनी-चुनी कार्रवाई छोड़ दें तो अपराध होने के बाद तत्काल की गई छुटपुट कार्रवाईयां ही की गई हैं। इस कारण वे बाबा बुलडोजर की तरह इमेज नहीं बना पाए। अब तक बड़े अपराधियों के खिलाफ मप्र सरकार सॉफ्ट कार्नर रख रही है।
योगी का कहना है कि ‘किसी गरीब की झोपड़ी और दुकान पर बुलडोजर न चलाएं। बुलडोजर सिर्फ पेशेवर माफिया, दुर्दांत अपराधी और माफिया की अवैध संपत्ति पर चलाएं।’
तो वहीं शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि ‘गुंडे और अपराधी सुन लें… गरीब कमजोर की तरफ हाथ उठा तो मकान खोदकर मैदान बना दूंगा। मामा का बुलडोजर अब रुकने वाला नहीं है।
बता दें कि एमपी में मामा का बुलडोजर चलाने की सबसे बड़ी कार्रवाई 11 अप्रैल को खरगोन दंगे के बाद हुई। यहां 16 मकान और 29 से ज्यादा दुकानों पर बुलडोजर चला।
– इससे पहले अप्रैल में ही रीवा रेप केस में महंत के मददगार संजय त्रिपाठी के निर्माणाधीन शॉपिंग मॉल पर बुलडोजर चला था।
– श्योपुर में गैंगरेप के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया।
– 17 जनवरी को इंदौर में पत्नी से गैंगरेप करवाने के आरोपी बिल्डर राजेश विश्वकर्मा के फार्म हाउस पर बुलडोजर चला।
– अक्टूबर 2021 में रतलाम में लाला-पठान बंधुओं की गैंग की 106 दुकानों पर बुलडोजर चला था। ये गैंग नशे की तस्करी में शामिल था।
वहीं बाबा ने यूपी में गुंडों की गैंग खत्म कर दी
– अतीक अहमद की 325 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर ध्वस्त कर दिया। गिरोह के 60 सदस्यों के हथियारों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए।
– विधायक मुख्तार अंसारी की 194 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की। गिरोह के 122 सदस्यों के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए गए, जबकि 158 को गिरफ्तार भी किया गया।
– गैंगस्टर सुंदर भाटी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 63 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति कुर्क की और उसके गिरोह के सदस्यों के चार हथियार लाइसेंस रद्द कर दिए।
– बलिया जेल में बंद कुंटू सिंह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 17.91 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति कुर्क की है या उसे ध्वस्त किया है।
क्यों जरूरी है बुलडोजर –
– एमपी के 2.75 करोड़ युवा वोटर्स को यही भाता है: मध्यप्रदेश में 18-39 साल के वोटर्स की संख्या 55 प्रतिशत है। पिछले चुनाव में कुल 5.34 करोड़ वोटर्स में 2.75 करोड़ वोटर्स 39 साल से कम के थे। इस बार इनकी संख्या 3 करोड़ के पार होगी।
– ये वोटर क्रिमिनल एक्शन पर तुरंत रिएक्शन चाहता है। यही वोटर सत्ता हासिल करने की चाबी है।
– यही वजह है कि शिवराज खुद को मामा बुलडोजर कहकर अपराधियों के ठिकानों पर बुलडोजर चला रहे हैं। यूपी में ये प्रयोग सफल भी रहा है। वहां बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी योगी के बुलडोजर के आगे धराशायी हो गए।
– माफिया पर एक्शन को बुलडोजर मामा अपनी सरकार की विशेषता बनाना चाहते हैं।