बाबा हरदेव सिंह महाराज ने मानवीयता से जीवन जी कर जीना सिखाया : सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज

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मानवता के मसीहा हरदेव सिंह को समर्पित समर्पण दिवस

काशीपुर (महानाद) : बाबा हरदेव सिंह ने मानवीयता से युक्त होकर जीवन जीने का ढंग सिखाया। यह उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने निरंकारी बाबा हरदेव सिंह के दिव्य जीवन एवं शिक्षकों से प्रेरणा लेने हेतु वर्चुअल रूप में आयोजित समर्पण दिवस समागम में व्यक्त किए।

13 मई 2016 के दिन बाबा हरदेव सिंह अपने नश्वर शरीर को त्याग कर निराकार प्रभु में विलीन हो गए थे। तभी से प्रतिवर्ष यह दिन निरंकारी जगत में समर्पण दिवस के रूप में बाबा हरदेव सिंह को समर्पित किया जाता है।

इसी उपलक्ष्य में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने निरंकारी जगत और प्रभु प्रेमियों को संबोधित करते हुए फरमाया कि जब हम बाबाजी की केवल मुस्कान को याद करते हैं, तो कितनी ठंडक महसूस होती है। क्योंकि हमें सच्चा मनुष्य बनने की युक्ति सिखाई। हम सही मायने में मानव की भांति अपना जीवन जीयें! क्योंकि ऐसा ही भक्ति भरा, प्रेम वाला और निरंकार प्रभु से जुड़ कर जीया गया जीवन ही बाबा जी को प्रिय था। उनकी शिक्षाओं पर चलकर हम प्रतिदिन अपने जीवन में निखार लाएं, ताकि यह ज्ञान की ज्योति घर घर में पहुंचे। जो उनकी अभिलाषा थी।

बाबा हरदेव सिंह ने 36 वर्षों तक मिशन की बागडोर संभाली। उनकी छत्रछाया में मिशन 17 देशों से चलकर विश्व के प्रत्येक महाद्वीप के 60 राष्ट्रों तक पहुंचा। जिसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के समागम, युवा सम्मेलन, सत्संग कार्यक्रम, समाज सेवा, उपक्रम विभिन्न धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के साथ तालमेल जैसे आयोजन सम्मिलित थे। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संत निरंकारी मिशन को सामाजिक एवं आर्थिक परिषद के सलाहकार के रूप में मान्यता भी बाबाजी के समय में ही प्रदान की गई थी।

आध्यात्मिक जागरूकता के अतिरिक्त समाज कल्याण के लिए भी बाबा जी ने अनेक सार्थक कदम उठाए। जिसमें मुख्यतया रक्तदान, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण अभियान, स्वास्थ्य महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, व्यवसाय, मार्गदर्शन केंद्र, के लिए किए गए कार्य सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त बाबा जी ने स्वयं रक्तदान करके मिशन के रक्तदान अभियान की शुरुआत की। मिशन के पहले ब्लड बैंक का लोकार्पण 26 जनवरी 2016 को बाबा हरदेव सिंह ने किया, जो विले पार्ले मुंबई में स्थित है।

बाबा हरदेव सिंह प्रेम और करुणा की सजीव मूर्ति थे और यही कारण था कि वह प्रत्येक स्तर के लोगों के लिए प्रिय रहे। जिस का प्रतिबिंब संत निरंकारी मिशन है। निरंकारी मिशन में विभिन्न वर्ण जाति के लोग समस्त भेदभावों को भुलाकर प्रेम व शांतिपूर्ण गुण जैसे मानवीय गुणों को जीवन में धारण करते हैं।

उनके द्वारा जन कल्याण के लिए की गई सेवाएं स्वर्णिम इतिहास बनकर आज भी मानवता को प्रेरित कर रही हैं। बाबा जी की सिखलाईयों पर चलकर सभी श्रद्धालु भक्त प्रतिपल उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं,और उनका अनुकरण भी करते हैं।

यह समस्त जानकारी स्थानीय निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।

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