महानाद डेस्क : कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के बाद विदेश दौरा बीच में छोड़ भारत लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा एक्शन लिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस वार्ता आयोजित कर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज सायं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित सीसीएस की बैठक में पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे तथा कई अन्य लोग घायल हुए थे। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए सीसीएस ने निम्नलिखित उपायों पर निर्णय लिया-
-1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता।
– एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। जो लोग वैध तरीके के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं।
– पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसपीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा। एसपीईएस वीजा के तहत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है।
– नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है। उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
– भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे।
मिस्री ने बताया कि सीसीएस ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी बलों को उच्च सतर्कता बनाए रखने का निर्देश दिया है। संकल्प लिया गया है कि इस हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। तहव्वुर राणा के हाल के प्रत्यर्पण की तरह भारत उन लोगों की तलाश में निरंतर प्रयास करेगा, जिन्होंने आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया है या उन्हें संभव बनाने की साजिश रची है।