ना जाने यह कैसा समय आया है, जिधर देखो बस डर का ही साया है : श्रृंखला चावला जोशी

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प्रदीप फुटेला

किच्छा (महानाद) : 

ना जाने यह कैसा समय आया है*
जिधर देखो बस डर का ही साया है
कोरोना नाम की इस बीमारी ने
अपना तांडव हर जगह फैलाया है
दिए हैं प्राकृति ने बहुत से मौके
मगर इंसानों ने उन सब को ठुकराया है
कैसा है माहौल देश मे आज
मौत का तांडव देखकर हर कोई घबराया है
मगर यह वक्त डरने का नहीं लड़ने का है
अपने पापों का प्रायश्चित करने का समय आया है
सोच रखो अच्छी, दिल रखो बड़ा, माफ कर दो सबको
ना जाने कब किस का अंतिम समय आया है
बहुत ही शिकायत थी हमें खुद से और सब से
अब उन शिकायतों को खत्म करने का समय आया है
हाथ जोड़कर करो प्रार्थना प्रभु से मांग लो माफी
इस वक्त ना रुतबा कुर्सी या पैसा काम‌ आया है
नकारात्मक सोच को कर दो परे क्योंकि
अब सकारात्मक सोच अपनाने का समय आया है
श्रृंखला की सबसे हाथ जोड़कर यही विनती है
ध्यान रखें अपना और अपने परिवार का
यह समय दूर रहकर भी पास आने का आया है

श्रृंखला चावला जोशी
किच्छा ( ऊधम सिंह नगर)
उत्तराखंड*

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