राकेश टिकैत सहित कई किसान नेताओं पर दर्ज हुई एफआईआर, दो किसान संगठनों ने आंदोलन लिया वापिस

0
251

दिल्ली (महानाद) : 26 जनवरी को किसानों द्वारा की गई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने किसान नेता राकेश टिकैत सहित डाॅ. दर्शनपाल, जोगिंदर सिंह, बूटा सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल और राजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च के दौरान इन नेताओं की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया है। ये सभी नेता किसान संगठनों से जुड़े हैं, सरकार संग बातचीत हो या ट्रैक्टर परेड का रुट तय करना हो, सभी में इनकी अहम भूमिका रही है। दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर आईपीसी की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, मारने या चोट पहुंचाने की कोशिश), 120 बी (आपराधिक साजिश) और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जाएगी।

वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के कई इलाकों में हुई हिंसा के बाद आज दो किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर दी है। जिन किसान संगठनों ने आंदोलन वापस लिया है उसमें भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के वीएम सिंह गुट शामिल हैं।

दोनों गुटों ने प्रेस वार्ता आयोजित की जिसमें किसान नेता वीएम सिंह ने ऐलान किया है कि उनका संगठन किसानों के आंदोलन से अलग हो रहा है। हम अब आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं।

वीएम सिंह ने कहा कि इस रूप से आंदोलन नहीं चलेगा। हम यहां पर किसानों को शहीद कराने या लोगों को पिटवाने नहीं आए हैं। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि राकेश टिकैत सरकार के साथ मीटिंग में गए। उन्होंने यूपी के गन्ना किसानों की बात एक बार भी उठाई क्या? उन्होंने धान की बात की क्या? उन्होंने किस चीज की बात की? हम केवल यहां से समर्थन देते रहें और वहां पर कोई नेता बनता रहे, ये हमारा काम नहीं है। सिंह ने कहा कि हिंसा से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं। आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में जो हुआ इन सब में सरकार की भी गलती है। जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा था तो सरकार क्या कर रही थी? जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी तब सरकार कहां थी?

किसान यूनियन भानु गुट के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो भी हुआ, उससे उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। इसलिए वह 58 दिन से चल रहा अपना आंदोलन खत्म कर रहे हैं।

उधर, गणतंत्र दिवस के दिन निकले ट्रैक्टर मार्च में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस का एक्शन जारी है। बुधवार दोपहर तक करीब 200 से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है। जल्दी ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here