रेप की झूठी शिकायत करने वाली युवती पर मुकदमा चलाने के आदेश, हो सकती है 3 महीने की जेल

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झांसी (महानाद) : कोर्ट ने रेप पीड़िता पर मुकदमा चलाने के आदेश दिये हैं। रेप पीड़िता को 3 महीने की जेल हो सकती है।
बता दें कि लगभग 6 साल पूर्व एक यवुक पर रेप का झूठा केस दर्ज कराने वाली लड़की अपने बयानों के कारण कोर्ट में घिर गई है। दरअसल सन 2015 में एक युवती ने रेप की एफआईआर दर्ज कराई और फिर कोर्ट में हुए 164 के बयान में भी रेप करने की बात कही थी। लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान वह अपने पहले के बयानों से मुकर गई और कोर्ट में बयान दिया कि उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ है।
युवती ने बयानों के बाद कोर्ट ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया और एससी-एसटी एक्ट कोर्ट की विशेष न्यायाधीश इंदु द्विवेदी ने झूठी एफआईआर कराने वाली लड़की के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश जारी कर दिये। युवती पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 344 के तहत मुकदमा चलेगा। युवती का जुर्म साबित होने पर उसे 3 महीने की जेल या 500 रुपए का जुर्माना हो सकता है।
विदित हो कि 18 नवंबर 2015 को 18 साल की एक युवती ने महिला थाना नबाबाद में एफआईआर दर्ज करवाते हुए बताया था कि वह झोकन बाग निवासी रिंकू उर्फ राहुल सिंह पुत्र उचित नारायण सिंह को 4 साल से जानती है। आरोप था कि रिंकू ने उसे झांसा देकर उसके साथ शरीरिक संबंध बनाए जिससे वह परेशान होकर 2013 में वह जॉब करने दिल्ली चली गई लेकिन रिंकू वहां भी पहुंच गया और बोला कि वह उसकी पत्नी है और उसे मंगल सूत्र पहनाकर उसके साथ मारपीट की। 2015 में वह झांसी लौट आई और यहां पर जॉब करने लगी। युवती ने आरोप लगाया कि 30 अक्टूबर 2015 को राहुल उसके घर में घुस आया और उसका रेप किया। जिसके बाद युवती के तहरीर के आधार पर पुलिस ने रेप, मारपीट और एससी-एसटी एक्ट में केस दर्ज कर राहुल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
कोर्ट में ट्रायल के दौरान शिकायतकर्ता युवती ने गवाही दी कि राहुल उसका दोस्त है। उसने कभी उसे मंगल सूत्र नहीं पहनाया है और न ही वह राहुल से परेशान होकर दिल्ली गई थी। राहुल न दिल्ली आया और न ही उसके साथ मारपीट की। राहुल ने उसके साथ शारीरिक संबंध भी नहीं बनाए थे।
पुलिस ने भी युवती का चिकित्सीय परीक्षण कराया था। जिसमें डॉक्टर ने बताया कि युवती के साथ निकट समय में रेप नहीं हुआ है। जिसके बाद कोर्ट ने युवक रिंकू को जमानत देते हुए युवती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर ने के आदेश दिये हैं।
बता दें कि दंड प्रकिया संहिता की धारा 344 के अनुसार यदि कोई साक्षी कोर्ट में यह जानते हुए या जानबूझकर मिथ्या साक्ष्य देता है या इस आशय से मिथ्या साक्ष्य गढ़ता है कि ऐसा साक्ष्य ऐसी कार्यवाही में प्रयुक्त किया जाए तो समाधान हो जाता है। ऐसे में उसे 3 माह के कारावास या 500 रुपए जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
उपरोक्त मामले में भी युवती ने कोर्ट में उपस्थित होकर अभियोजन का समर्थन नहीं किया एवं मिथ्या साक्ष्य दिया है।

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