विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : ‘परमात्मा यदि हमारा अपना है तो इसका रचा हुआ संसार भी हमारा अपना ही है। परमात्मा सब का आधार है। हर एक में और ब्रह्मांड के कण-कण में इसी का वास है। ऐसा भाव जब हृदय में बस जाता है तब किसी अन्य वस्तु अथवा मनुष्य में फिर कोई फर्क नजर नहीं आता। अतः हम यह कह सकते हैं कि समस्त संसार में परिवार की भावना जीवन में धारण करने से ही उन्नति संभव है।’
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के दूसरे दिन 28 नवंबर 2021 की शाम को हुए सत्संग समारोह को संबोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए।
सतगुरु माता ने प्रतिपादन किया कि यदि हम माता-पिता के दृष्टिकोण से देखें तो वास्तविक रूप में सबका आधार यह परमात्मा ही है। जिस पर विश्वास भक्ति की बुनियाद है। इसलिए अपनत्व के भाव को धारण करके हम सब एक दूसरे के साथ सद्भाव पूर्ण व्यवहार करें। हर एक के प्रति मन में सदैव प्रेम की ही भावना बनी रहे, नफरत की नहीं। यदि हम किसी के लिए कुछ कर भी रहे हैं, तब उसमें सेवा का भाव हो, एहसान का नहीं।
परमात्मा पर विश्वास की बात को और अधिक स्पष्ट करते हुए सतगुरु माता ने कहा कि जब हम इस परम सत्ता को ब्रह्म ज्ञान द्वारा जान लेते हैं तो फिर इस पर विश्वास करने में हमारी भक्ति सही अर्थों में और सुदृढ़ होती है। उसके उपरांत तो फिर जीवन में घटित होने वाले विभिन्न प्रकार के उतार-चढ़ाव के कारण हमारा मन विचलित नहीं होता। यह दृढ़ता हमें सत्संग, सेवा और सिमरन के माध्यम से प्राप्त होती है।
इससे पूर्व शाम 5ः00 से चल रहे सत्संग समारोह में देश विदेश से भाग ले रहे वक्ता, गीतकार एवं कवियों ने अपने अपने व्याख्यान गीत एवं कविताओं के माध्यम से समागम के मुख्य विषय ‘विश्वास- भक्ति- आनंद’ पर रोशनी डाली।
यह समस्त जानकारी स्थानीय निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।