गोविन्द शर्मा
देवबंद (महानाद) : विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी में टिकट का दावा करने लगे हैं। समाजवादी पार्टी में भी टिकट को लेकर दावेदारों में कड़ा संघर्ष है। सभी दावेदार टिकट अपने को ही मिलना बता रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा देवबंद जो महत्वपूर्ण सीट है, उससे समाजवादी पार्टी से तीन मुख्य लोग टिकट के दावेदार हैं। इन तीन दावेदारों में पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर, पूर्व राज्यमंत्री स्व. राजेन्द्र राणा का पुत्र कार्तिक राणा और पूर्व विधायक व चेयरमैन माविया अली हैं। इन तीनों दावेदारों में सपा का टिकट किसको मिलेगा यह तो अभी भविष्य पर निर्भर है। लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इन तीनों को क्षेत्र में जाकर काम करने को कहा है।
जनता में जो सपा का वोटर है, वह अभी तक असमंजस में है, कि आखिर वह किसको अपना नेता मानकर काम करे। तीनों दावेदारों के बड़ी संख्या में समर्थक और कार्यकर्ता जनता के बीच अपने ही नेता को टिकट मिलने का दावा कर रहे हैं। बहरहाल टिकट किसी को मिले मगर सपा का मुकाबला भाजपा सत्ता पक्ष से होने के कारण कठिन है। वर्ष 1992 के राम जन्मभूमि विवाद के बाद से भाजपा हिन्दू ओर सपा मुस्लिमों की चहेती हो गई थी। इसका पूरा प्रभाव पूर्व की सपा सरकार में हिन्दुओं ने देखा और भुगता भी है। सपा सरकार में जिस प्रकार हिन्दू को अपने देश में अपमानित होना पड़ा, बहन और बेटियों की इज्जत बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा तथा पुलिस प्रशासन की प्रताड़ना तथा उपेक्षा झेलनी पड़ी थी, उसी का प्रभाव था कि प्रदेश में पूर्ण बहुमत में भाजपा की योगी सरकार आई। अब 2022 में होने वाले चुनाव में सपा तथा भाजपा में कांटे की टक्कर है और इसी को देखते हुए सपा के टिकट के लिए दावेदारों की लाइन लगी है।
अब प्रश्न यह है कि सपा का टिकट पाने का असली दावेदार कौन होना चाहिए? पूर्व चेयरमैन व विधायक रहे माविया अली एक तेज तर्रार कट्टर मुस्लिम नेता हैं तथा देवबंद में हुए कई ऐसे मामलों, जिनमें साम्प्रदायिक विवाद होने की सम्भावना थी, उनसे इनका नाम जुड़ा रहा है। ऐसी स्थिति में टिकट मिलने के बाद इनको हिन्दू समाज के बीच अपने आपको सेकुलर सिद्ध करना होगा, और यह सम्भव नजर नहीं आता है।
दूसरे नेता पूर्व राज्यमंत्री स्व. राजेन्द्र राणा के पुत्र कार्तिक राणा हैं। विदेश में रहे है, नौजवान हैं। टिकट की दौड़ में पूरी ताकत लगाये हैं। राजपूत बिरादरी से होने के नाते उनको पूरा विश्वास है कि टिकट उनको ही मिलेगा। आम जनता के बीच कार्तिक पहचान नहीं रखते है, इनका आम आदमी के सुख दुःख में भी आना जाना नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में अपने खास लोगों तक ही सीमित हैं और क्षेत्र में इनका कोई संघर्ष भी नहीं है। इनको चुनाव में पार्टी को जिताने के लिए कड़े संघर्ष की जरूरत होगी।
सपा में टिकट की प्रबल दावेदार पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर भी हैं। शशिबाला पुंडीर आम आदमी की नेता हैं तथा उनका प्रभाव हिन्दू और मुसलमान दोनों मंे है। शशिबाला पुण्डीर पिछले 30 वर्षों से जनता के बीच में हैं तथा जनता के काम आ रही हैं। देवबंद विधानसभा क्षेत्र में यदि किसी नेता की पहचान है तो वह शशिबाला पुंडीर ही हैं। शशिबाला पुण्डीर अपने राजनीतिक कार्यकाल में हिन्दू और मुसलमानों मे समान रूप से कार्य करती रही हैं। वह भाजपा के टिकट पर उस समय विधायक बनी, जब प्रदेश में सपा की सरकार थी। वर्तमान में वह सपा की नेता हैं और सपा के टिकट की प्रबल तथा शक्तिशाली नेता है।
समाजवादी पार्टी ने यदि टिकट समझदारी से नहीं दिया तो उसके लिए भाजपा के उम्मीदवार को हराना सम्भव नहीं है। देवबंद विधानसभा क्षेत्र में सपा के पास शशिबाला पुंडीर एक ऐसी दावेदार हैं, जिसको हिन्दू व मुसलमान दोनों का पूर्ण समर्थन मिल सकता है।