विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : 7 साल से बाजपुर रोड पर बीरबल की खिचड़ी की तरह बन रहे आरओबी के खुलने की आज एक नई तारीख मिल गई। अब आरओबी के खुलने की नई तारीख 30 अप्रैल रखी गई है।
जी हां, आपको बता दें कि 7 साल से बाजपुर रोड पर बन रहे आरओबी के बनने की दर्जनों तारीखें तय की गईं। लेकिन कोई भी तारीख ऐसी नहीं आई जिस पर कि यह आरओबी खुल जाता और सात सालों से लगातार जाम, आने जाने में देरी से आम जन को मुक्ति मिल जाती। लेकिन ऐसा कुछ न हुआ और लोग कभी पक्ष और कभी विपक्ष के नेताओं को जिम्मेदार ठहराकर बरी हो गये और अपने-अपने कामों में लग गये। आरओबी बनाने वालों ने भी इसका नक्शा गजब का बनाया है।
मुरादाबाद रोड की तरफ को उतरने की दूरी ज्यादा है तो रामनगर रोड पर उतरने की दरी कम। ये कैसी इंजीनियरिंग है कि मुरादाबाद रोड पर उतरने के लिए ढलान आरामदायक बनाया तो रामनगर रोड पर उतरने का ढलान मुश्किल। दोनों तरफ की दूरी में अंतर कौन सी मॉडर्न इंजीनियरिंग का कमाल है, पता नहीं।
सालों के इंतजार के बाद आखिरकार 15 अप्रैल को वो दिन आया था जब आरओबी को खोला गया लेकिन 19 तारीख को मतदान होने के बाद 20 तारीख को इसे फिर बंद कर दिया गया। बंद करते समय ठेकेदार अजय शर्मा ने कहा कि इसे लोड टेस्टिंग के लिए अनिश्चित काल के लिए बंद किया जा रहा है। वहीं एक भाजपा नेता ने कहा कि ऐसा नहीं है और आरओबी को 72 घंटे में खोल दिया जायेगा।
फिर कल 22 अप्रैल को जसपुर विधायक आदेश चौहान को एनएच के एक्स. इंजी. ने आश्वासन दिया कि आरओबी को को आज 23 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक खोल दिया जायेगा। जिस पर आज विधायक आदेश चौहान, संदीप सहगल, विमल गुड़िया, मुशर्रफ हुसैन आदि आरओबी पर पहुंचे और 2 बजे तक आरओबी के न खुलने पर वहीं पर दरी बिछाकर धरने पर बैठ गये और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे। तब पता चला कि अब आरओबी के खुलने के लिए 6 बजे का समय निर्धारित किया गया है।
और फिर 6 बजे एनएच के सहायक अभियंता प्रमोद सुयाल मौके पर आये और उन्होंने बताया कि आरओबी को अभी खोला नहीं जा सकता, इसमें कईं छोटे-छोटे कार्य बचे हैं। उन्होंने बताया कि उक्त कार्यों को 30 अप्रैल तक पूरा करने की कोशिश की जायेगी। जिसके बाद संभवतः आरओबी को खोला जायेगा।
अब सोचने वाली बात यह है कि जिन लोगों की सहूलियत के लिए पिछले 7 सालों से यह आरओबी बनाया जा रहा है। क्या उन्हें भी इसकी चिंता है कि यह बन जाये? शायद नहीं?
यह आरओबी बनना शुरु हुआ और कभी काम शुरु होता, कभी काम बंद हो जाता। पहले थोड़ी आवाजाही बंद की गई। फिर पूरी आवाजाही बंद कर दी गई। जो आरओबी 2 सालों में बन जाना था वह 7 सालों में भी न बन पाया। इस आरओबी की जद में आने वाले सैकड़ों व्यापारियों का व्यापार चौपट हो गया। इससे उड़ने वाली धूल फेफड़ों में घुस गई। इस ओर से दूसरी ओर जाने वाले लोगों को कहां-कहां से होकर जाना पड़ता है। चीमा चौराहे को भी दोराहा बना दिया गया। लेकिन वे शंाति से सब सहते रहे कि आखिरकार एक दिन बन ही जायेगा। सोशल मीडिया पर और आपसी बातचीत में जनप्रतिनिधियों को दोष देते रहे।
लेकिन जब विपक्ष के जनप्रतिनिधियों ने उनकी आवाज उठाने की कोशिश की तो वे उनके साथ भी खड़े नहीं हुए। आज के कांग्रेस विधायक द्वारा दिये गये धरने में दूर-पास की जनता तो क्या आरओबी की जद में आकर प्रभावित हुए दुकानदार भी शामिल नहीं हुए। इससे पहले भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने आरओबी के नीचे धरना दिया था लेकिन जनता ने तब भी उनके हक में उठाई जा रही आवाज में अपनी कोई आवाज नहीं मिलाई।
इससे लगता है कि आरओबी का मुद्दा राजनीतिक है, जनता का नहीं। क्योंकि जनता ने तो आज तक अपनी परेशानी किसी के सामने दर्ज कराई नहीं। इससे साफ है कि जनता को आरओबी के बनने से कोई लेना देना नहीं है। इसलिए नेता भी इस पर राजनीति बंद कर दें। आरओबी को जब खुलना होगा, खुल जायेगा।
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