उत्तराखंड में यदि ‘आप’ के हाथ में आई सत्ता की चाबी तो दीपक बाली को मिल सकती है बड़ी भूमिका

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : चुनावों का समय नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे पार्टियों व संभावित उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी ताकत दिखानी शुरु कर दी है। बात अगर काशीपुर विधानसभा की करें तो इस बार का चुनाव अब तक हुए चुनावों में ‘अलग’ होता नजर आ रहा है।

बता दें कि विगत 4 बार से काशीपुर का प्रतिनधित्व कर रहे भाजपा विधायक को चुनौती देने के लिए जहां कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल ताल ठोक कर मैदान में उतरे हुए हैं तो कांग्रेस की पूर्व मेयर प्रत्याशी मुक्ता सिंह भी अपनी सशक्त दावेदारी पेश कर रही हैं। तो वहीं दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े मनोज जोशी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

वहीं, भाजपा से टिकट की आस लगाये भाजपा के कई कार्यकर्ता इस बार अपने-अपने लिए टिकट की आस लगाये हुए हैं। आपको बता दें कि वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं और भाजपा-अकाली दल में गठबंधन होने के कारण लगातार 4 बार टिकट पाते रहे हैं और भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ते हुए हर बार जीत भाजपा की झोली में डालते रहे हैं। लेकिन इस बार किसान बिलों के विरोध में अकाली दल ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया है जिस कारण भाजपा कार्यकर्ताओं को लगता है इस बार पार्टी किसी भाजपा कार्यकर्ता को ही टिकट देगी। विदित हो कि अकाली दल का भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद भी भाजपा विधायक चीमा ने अपना इस्तीफा देने से मना कर दिया था।

उधर, इस बार काशीपुर विधानसभा में जिस व्यक्ति ने अपनी धमक दिखानी शुरु की है वह है आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली।

बता दें कि विगत लंबे समय से विकास की बाट जोह रहे काशीपुर की समस्याओं को देखते हुए राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली ने कमर कसी और धरना प्रदर्शन नहीं केवल समाधान का मंत्र अपनाते हुए काशीपुर की समस्याओं को दूर करने का प्रयास शुरु किया। बाली का कहना था कि किसी समस्या का समाधान धरने-प्रदर्शन से नहीं निकलता। नेता वह है जो लोगों को समस्याओं से निजात दिलाये।

इसके लिए बाली ने सबसे पहले काशीपुर में वर्षों से बन रहे रेल ओवर ब्रिज का निर्माण सही समय पर करवाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां कोर्ट ने कार्यदायी संस्था को इसे फरवरी 2021 तक बनाने का अल्टीमेटम दिया और ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य में पहले के मुकाबले तेजी आई। लेकिन फिर पता चला कि अब रेलवे ने इसके निर्माण में कोई अड़ंगा डाल दिया है। जिस पर दीपक बाली फरवरी का इंतजार कर रहे हैं। जिसके बाद एक बार फिर से वे न्यायालय की शरण में जायेंगे।

इसके बाद पूरे देश मे एकमात्र काशीपुर नगर निगम में लगने वाले भारी भरकम 2 प्रतिशत दाखिल-खारिज शुल्क के खिलाफ आवाज उठाई और उनके सहयोगी ने इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिसमें नगर निगम काशीपुर ने अब अपना जबाव दाखिल किया है। विदित हो कि काशीपुर नगर निगम क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों के दाखिल-खारिज कराने के लिए रजिस्ट्री की कीमत का 2 प्रतिशत शुल्क जमा करना पड़ता है जोकि हजारों-लाखों में होता है। जबकि उत्तराखंड के किसी भी नगर पालिका-नगर निगम में इस तरह का शुल्क लागू नहीं है और वहां पर मात्र कुछ हजार रुपये में संपत्ति का दाखिल खारिज हो जाता है।

वहीं चाहें एमपी चैक पर स्वयं के खर्चे से नाले का निर्माण करवाना हो या जगह-जगह सड़क पर रात गुजार रहे लोगों को रेन बसेरे तक पहुंचाने का कार्य बाली समस्याओं के समाधान में जुटे हुए हैं।

इसके बाद दीपक बाली ने उत्तराखंड में तेजी से पैर पसार रही आम आदमी पार्टी ‘आप’ की सदस्यता ग्रहण की और मात्र दो-ढाई महीने में पार्टी को इस लेवल पर लाकर खड़ा कर दिया कि जो लोग बाली को नौसिखिया करार दे रहे थे अब उनके बढ़ते राजनीतिक कद से घबराने लगे हैं। बाली के नेतृत्व में आप की टीम लगातार बढ़ती जा रही है। काशीपुर में पार्टी का हाईटेक कार्यालय बन चुका है। पहले दिल्ली के उपमुख्यंत्री मनीष सिसौदिया का काशीपुर में अभूतपूर्व स्वागत व रैली और फिर पंजाब से आप के सांसद भगवंत मान के नेतृत्व में जसपुर से खटीमा तक किसान न्याय यात्रा निकालकर अपनी धमक काशीपुर से आगे पूरे प्रदेश तक पहुंचा दी है। पार्टी ने भी उन्हें इसका इनाम देते हुए उत्तराखंड प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया।

जिस तरीके से आप ने उत्तराखंड में अपनी शुरुआत की है उसे देखकर लगता है कि यदि पार्टी इसी गति से चलती रही तो आगामी विधानसभा चुनावों में जैसे की हालात नजर आ रहे हैं, भाजपा-कांग्रेस की जंग में सत्ता की चाबी आप के हाथ में रह सकती है और यदि काशीपुर भी दीपक बाली को अपना समर्थन देता है तो दीपक बाली भी सरकार में एक बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं।

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