विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : संत निरंकारी मिशन के महासचिव ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) पीएस चीमा, 12 मई को प्रातः 10 बजकर 15 मिनट पर सर्वशक्तिमान निरंकार में विलीन हो जाने पर संत निरंकारी मिशन अत्यंत शोक व्यक्त करता है।चीमा सेना केें एक बहुत ही काबिल अधिकारी तथा मिशन के एक अन्नय भक्त रहे, जिन्होंने अपने अनुशासन, समर्पण और साधु गुणों से जीवन के हर पहलू को बखूबी निभाया।
14 मार्च 1949 को जन्मे ब्रिगेडियर चीमा का पालन पोषण एक अध्यात्मिक वातावरण तथा सतगुरू की शिक्षाओं में हुआ। उन्होंने जुलाई 1956 में ब्रहाज्ञान प्राप्त कर निरंकार से नाता जोड़ा। एक बुद्धिमान और मेहनती युवा परमिंदर जी एक ईमानदार भक्त थे, जिन्होंने खेल, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह भारतीय सेना में शामिल हो गए, जहां भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक संपर्क को बनाए रखा तथा अपने समकालीनों को विश्वास और अच्छाई के साथ प्रेरित किया। उन्हें डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा डीआरडीओ प्रौद्योगिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
29 अप्रैल, 2006 को चीमा को सतगुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज ने सन्त निरंकारी मंडल कार्यसमिति का सदस्य बनाया और उसके बाद 28 अप्रैल, 2007 से कार्यकारिणी समिति के सदस्य बनाया गया। इसके इलावा समाज कल्याण, स्वास्थ्य व मेडिकल विभाग की सेवाएं भी सौंपी गई ।
ब्रिगेडियर पीएस चीमा सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य रहे। 1 मई 2007 को सद्गुरू बाबा जी ने आपको ज्ञान प्रचारक की सेवाएं से भी नवाजा। उन्हें संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य के रूप में 12 अप्रैल 2010 को भी नामित किया गया ।
वर्तमान में ब्रिगेडियर चीमा सन्त निरंकारी मंडल के महासचिव के पद पर सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की रहनुमाई में 2018 से सेवाएं दे रहे थे। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य, आईटी , सिक्योरिटी, स्टूडियो तथा दूरसंचार जैसी विभिन्न सेवाओं में भी मेंबर इंचार्ज की भूमिका निभा रहे थे।
ब्रिगेडियर चीमा निरंकारी मिशन के आगामी हैल्थ सिटी प्रोजेक्ट में भी अहम भूमिका निभा रहे थे। भौतिक दुनिया से उनका जाना मिशन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी भक्ति और निःस्वार्थ सेवा तथा उनके जीवन मूल्य हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का मार्ग सशक्त करेंगे।
यह जानकारी जानकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।