मोहित गोयल
सल्ट (महानाद) : ग्रामीणों ने बाघ के हमले में मारी गई महिला का शव सड़क पर रखकर चक्का जाम किया और लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही उसे समाप्त किया।
बता दें कि मंगलवार को लकडी लेने जंगल गई ल्ट के कूपी गांव की एक महिला को बाघ ने मार दिया था जिसकी वजह से ग्रामीणों में गुस्सा व्याप्त था। जब प्रशासन और वन विभाग के किसी भी अधिकारी ने मृतक महिला की किसी प्रकार की कोई सुध नही ली तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने बुधवार को गांव से थोड़ी दूरी पर मरचूला जाकर नेशनल हाईवे 309 पर शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया ।
गाँव वालों की मांग थी कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाये तथा उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए तथा आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिये पिंजरा लगाया जाये या विभाग द्वारा उसे मरवा दिया जाये। जाम लगने के दो घंटे बाद भी जब प्रशासन के किसी अधिकारी ने कोई सुध नहीं ली तो ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और ग्रामीणों ने जिलाधिकारी पर दबाव बनाया। जिसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने एसडीएम सोमेश्वर गौरव पांडे और डीएफओ यादव को मौके पर भेजा। लगभग पाँच घंटे के जाम के बाद अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की पर ग्रामीण बिना लिखित आश्वासन के नहीं माने। जिसके बाद एसडीएम और डीएफओ ने मृतक के परिजनों को 3 लाख रुपये मुआवजा, मृतक महिला के परिवार के किसी एक सदस्य को विभाग में सरकारी नौकरी देने और आदमखोर को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए तीन पिंजरे लगवाने के लिखित आश्वासन दिया, जिसके बाद ग्रामीणों ने जाम खोल दिया।
इस मौके पर नारायण सिंह, घनानंद शर्मा, अमित रावत, देवेन्द्र सिंह और अन्य कई ग्रामीण मौजूद थे। वहां मौजूद नारायण सिंह का कहना था कि वन अधिनियम 1972 में बदलाव की जरूरत है। जिसके मुताबिक किसी भी जानवर को तब तक नर-भक्षी घोषित नहीं किया जा सकता जब तक कि वो जानवर 15 दिनों के भीतर 3 लोगों को नहीं मार देता। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि एक इंसान को मारने के बाद दो लोगों की बलि और दी जाए तब उसे आदमखोर घोषित किया जाये। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की नजर में इंसानों की जान की कितनी कीमत है।
वहीं, जाम के कारण वहां से गुजर रहे यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।