बड़ी खबर काशीपुर : महिला एसआई के खिलाफ जारी एसएसपी और आईजी का आदेश निरस्त

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद): उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी/अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की पीठ ने उधम सिंह नगर जिले में तैनात रही एक महिला एसआई के खिलाफ एसएसपी और आईजी के आदेश को निरस्त कर दिया है।

बता दें कि वर्तमान में जीआरपी चौकी काशीपुर इंचार्ज के पद पर तैनात महिला एसआई सरोज काम्बोज की ओर से उनके अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गया था कि सरोज कांबोज को बाजपुर में कार्यरत रहने के दौरान धारा 376/420/504/506 की तफ्तीश सौंपी गई थी। लेकिन तत्कालीन एसएसपी ने तफ्तीश में देरी के आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया और कांबोज द्वारा डाक से भेजे जवाब पर विचार किये बगैर ही उनकी चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख अंकित करने का आदेश दे दिया। कांबोज ने इसकी अपील आईजी कुमाऊं से की। लेकिन उन्होंने भी इसे बिना किसी वैध आधार के खारिज कर दिया।

इस याचिका के उत्तर में सरकार व पुलिस विभाग की ओर से एसपी उधम सिंह नगर आशीष भारद्वाज द्वारा काउंटर एफिडेविट फाइल किया गया जिसमें एसएसपी उधम सिंह नगर व आईजी कुमाऊं के आदेशों को सही बताते हुए याचिका खारिज करने की प्रार्थना की गयी। याचिका पर सुनवाई ट्रिब्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता की पीठ में हुई। जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से नदीम उद्दीन एडवोकेट ने बिना नोेटिस के जवाब पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये गये एसएसपी के दण्डादेश व इसे सही घोषित करने वाले आईजी के अपील आदेश को अवैध व प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का उल्लंघन बताते हुये इसे निरस्त करने की प्रार्थना की। नदीम ने तर्क दिया कि आईजी कुमाऊं नेे अपने अपील आदेश में विभिन्न स्थानों पर एसएसपी द्वारा अपीलार्थी सब इंस्पेक्टर के जवाब पर न केवल गहनतापूर्वक अध्ययन व परिशीलन करने का उल्लेख किया गया बल्कि एक स्थान पर तो विधिक राय प्राप्त कर गहनतापूर्वक अध्ययन एवं परिशीलन करने के उपरान्त आदेश जारी करना भी लिखा है। इससे स्पष्ट प्रमाणित है कि नोटिस का जवाब एसएसपी को आदेश करने से पूर्व ही प्राप्त हो गया है।

एडवोकेट नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये सर्विस ट्रिब्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता ने आदेशों में विरोधाभास मानते हुये दण्डादेश तथा आईजी के अपील आदेश को निरस्त होने योग्य माना और निरस्त कर दिया। ट्रिब्युनल ने मामले को नोटिस के जवाब पर विचार करते हुये कानून के अनुसार नये सिरे से आदेश के लिये एसएसपी को भेज दिया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि याचिकाकर्ता को इस नये आदेश में कोई दण्ड दिया जाता है तो उसे नियमानुसार अपील करने का अधिकार होगा।