बड़ी उपलब्धि : 45वें शतरंज ओलंपियाड में पुरुष व महिला टीमों ने जीते स्वर्ण पदक

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महानाद डेस्क : 22 सितंबर का दिन शतरंज में भारत की उपलब्धियों के लिहाज से भारत के साथ-साथ विश्व के इतिहास में भी ‘सुनहरी याद’ के रूप में दर्ज हो गया। भारत की पुरुष एवं महिला, दोनों टीमों ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में आयेाजित 45वें शतरंज ओलंपियाड के अंतिम दौर में अपने-अपने प्रतिद्वंदियों को हराकर पहली बार विश्व स्तर की इतनी बड़ी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत लिये, जो निश्चित ही यादगार उपलब्धि होने के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष को गौरवान्वित करती है।

विश्व चैंपियनशिप चैलेंजर और आज की तारीख में विश्व के सबसे चर्चित ग्रैंडमास्टर भारत के डी. गुकेश (18 वर्ष) एवं अर्जुन एरिगेसी (21 वर्ष) और आर प्रज्ञानंदा (19 वर्ष) ने दबाव के समय अहम मुकाबलों में बहुत शानदार प्रदर्शन किया, जिससे भारत ओपन वर्ग में निर्विवाद रूप से अपना पहला खिताब जीतने में सफल हो सका। बेहतरीन शतरंज खिलाड़ी विदित गुजराती ने भी बढ़िया खेल का प्रदर्शन किया।

शतरंज के महान खिलाड़ी और पांच बार विश्व चैंपियनशिप खिताब जीत चुके विश्वनाथन आनंद अगली पीढ़ी के भारतीय खिलाड़ियों को दुनिया पर राज करते देखने के लिए एरीना में मौजूद थे।

पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम एक चैंपियन की तरह खेली। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय पुरुष टीम ने 22 में से 21 अंक हासिल किए जो अपने आप में अभूतपूर्व है। खिलाड़ियों ने सिर्फ उज्बेकिस्तान से 2-2 से ड्रॉ खेला। वहीं, पुरुषों के बाद भारतीय महिला टीम ने भी शतरंज ओलंपियाड 2024 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया और भारतवासियों को दोहरी खुशी प्रदान की।

महिला टीम में हरिका द्रोणावल्ली, वैशाली रमेश बाबू, दिव्या देशमुख, वंतिका अग्रवाल, तानिया सचदेव शामिल थीं, जिन्होंने अपने यादगार प्रदर्शन से विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।

ये ऐसी दोहरी सफलता है जो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुकी है।

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