अभी नही तो कभी नहीं…: गोविन्द शर्मा

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देवबंद (महानाद) : लाखों वर्ष पुरानी संस्कृति हिन्दू सनातन धर्म को मात्र 1400 वर्ष पूर्व पैदा हुए इस्लाम से गम्भीर संकट पैदा हो गया है। इस्लाम के पुरोधा अपने अनुयाइयों को धर्म के नाम पर भटका कर हिंसक बना रहे हैं और इसमें सबसे बड़ी भूमिका मदरसों की है। मदरसों में दी जा रही शिक्षा में इस्लाम को न मानने वालों को काफिर बताया गया है, यह लोग स्कूलों में धार्मिक जलसों में चिल्ला-चिल्ला कर इस बात को दोहराते हैं और कहते है कि ‘जो इस्लाम को नहीं मानता है, वह काफिर है। यह लोग यहीं नहीं रुकते, कहते हैं, काफिर की सजा मौत है।’

इस्लाम की शिक्षा ही जब कहती है कि जो इस्लाम को नहीं मानता, वह काफिर है, तब हिन्दू, सिख और इसाई सहित अन्य सभी धर्म इनके अनुसार काफिर हैं। बस यही सब आज पूरी दुनियां मे इस्लामिक हिंसा की बुनियाद है। इस हिंसा को बढ़ावा मदरसों की शिक्षा दे रही है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में हो रही हिंसा के पीछे इन मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों और पूर्व छात्रों की बड़ी भूमिका है। इन मदरसों से बने मौलवी जो देश तथा विदेशों की मस्जिदों में इमामत कर रहे हैं, कि भूमिका भी हिन्दुओं के प्रति हिंसा बढ़ाने की बडी जिम्मेदार है।

अफसोस और दुःख की बात है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में तो हिन्दुओं तथा मंदिरों को समाप्त करने का का कारण इस्लामिक देश होना बताया जाता है, मगर भारत तो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और यहां भी हिन्दुओं पर मंदिरों पर हिंसक हमले हो रहे हैं। हिन्दुओं के घरों प्रतिष्ठानों पर हिंसक भीड़ हमले करती है, लूट करती है। इतना ही नहीं बहन बेटियों से बलात्कार तक की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान तथा बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया गया, मगर कांग्रेस के नेताओं ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से रोक दिया। यह उस समय के कांग्रेसी नेताओं की सोची समझी चाल कहें या बड़ा षडयन्त्र था। जिसका खमियाजा आज हिन्दू समाज भुगत रहा है। इस्लामिक मदरसों में पढ़े छात्र जिनको तालिबिम कहते हैं और वही पूर्ण शिक्षित होकर तालिबान बन गये हैं और दुनियां को दहला रहे हैं। अब भी यदि देश और दुनियां के कोने-कोने में बसा हिन्दू एक होकर और इस धर्मनिरपेक्षता के चोले को छोड़ कर ‘जैसे को तैसा’ वाला फार्मूला नहीं अपनाता है तो वह समय दूर नहीं जब धरती से लाखों वर्ष पुराना सनातन धर्म और संस्कृति को समाप्त होने अधिक समय नहीं लगेगा।

भारत सरकार को इस ओर गम्भीरता से सोचना चाहिए। यदि पूर्ण बहुमत की सरकार में हम हिन्दू सनातन धर्म को बचाने का कोई ठोस उपाय नहीं करवाते हैं तो भविष्य में सम्भव होना नजर नहीं आता है। हिन्दू सनातन धर्म के राजनीतिजीवी कुर्सी के लिए धर्म बदलने में भी पीछे नहीं रहेंगें। महाराष्ट्र में बालाजी साहब ठाकरे जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दुत्व को समर्पित किया और इस्लामिक कट्टरपंथियों के सामने झुके नहीं और उनके अनुयायी उनके चहेते बन गये हैं। ऐसे लोगों की हिन्दू समाज में कमी नहीं है। ऐसे ही लोगों के कारण वर्तमान में इस्लामिक जिहादी हिन्दूओं, मन्दिरों को नष्ट करने पर लगे हैं। हिन्दूओं व हिन्दूओं के प्रतिष्ठानों, घरों को नष्ट करने का साहस कर रहे हैं। हिन्दू समाज को जात पात से ऊपर उठकर गीता के संदेश को याद करना चाहिए। जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है तो मैं अवतार लेता हूं।

अब सोचने का समय नहीं करने का समय आ गया है। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अपने बाहुल्य वाले क्षेत्रों में हिन्दुओं को सताना, मारना और उनके धार्मिक त्यौहारों पर ऐतराज करना प्रारम्भ कर दिया है। यह इनकी हिंसा का पहला रूप है और इसके बाद यह घरों में घुसकर लूट मारधाड़ करते हैं। समय रहते यदि यदि हिन्दू धर्मनिरपेक्षता के मकड़जाल से बाहर नहीं निकलता तो आने वाले बीस वर्षों मे हिन्दू पूरे देश में असहाय होगा। समय रहते हिन्दूओं को सम्भल जाना चाहिए। उसके सामने पाकिस्तान की मिसाल है जहां आजादी के समय में 20ø हिन्दू थे जो आज मात्र 1 डेढ़ प्रतिशत बचे हैं। यही स्थिति बांग्लादेश की है और अफगानिस्तान में जो हो रहा है, वह सब देख रहे है। इसके विपरीत भारत में आजादी के समय में बचे 2ø इस्लाम के चाहने वाले आज 22ø हैं, कैसे?

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