मोहित गोयल
सल्ट (महानाद) : झड़गाँव के तोक मल्ला तया में शनिवार को मादा बाघ के मृत अवस्था में मिलने के बाद बाघिन के शव को पोस्टमार्टम के लिए ढेला रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया। लेकिन गाँव के लोग अभी भी डरे हुए हैं और बाघ की दहशत में जीने पर मजबूर हैं।
गाँव निवासी सुरेंद्र सिंह रावत और गोपाल सिंह ने बताया कि बाघ का खतरा अभी भी टला नहीं है। उन्होंने बताया कि बाघिन के रेस्क्यू के बाद भी एक बाघ उस क्षेत्र में लगातार देखा जा रहा है और बाघ के गुर्राने की आवाजें सुबह शाम लगातार सुनाई दे रही हैं। इससे प्रतीत होता है कि क्षेत्र में जंगली जानवरों का खतरा अभी भी बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि मौके पर जो पिंजरा वन विभाग द्वारा लगाया गया था वो फिलहाल बन्द कर दिया गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग के रेंजर विक्रम सिंह को इस बात की सूचना दे दी है कि अभी भी इस क्षेत्र में बाघ देखा जा रहा है। ग्रामीणों ने वन कर्मियों से पिंजरा लगाने की फिर से माँग की है। रेंजर विक्रम सिंह ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि वो आज घटनास्थल पर वनकर्मियों के साथ पहुँच जायेंगे और पिंजरा भी लगा दिया जायेगा।
आपको बता दें कि पिछले एक साल में इस क्षेत्र में बाघ ने लगातार 4 हमले किये हैं और 3 लोगों को अपना निवाला बनाया है जबकि एक महिला बुरी तरह घायल होने के बावजूद किस्मत से बच गई।
1 मार्च -गुड्डी देवी, पत्नी महेश सिंह, ग्राम कूपी को बाघ ने मार डाला था।
इसके बाद 16 अप्रैल 2022 को परी देवी पत्नी भोला दत्त झाड़गांव को भी बाघ ने मार दिया था।
9 नवंबर 2022 को सांकर की रहने वाली कमला देवी, पत्नी बालम सिंह पर भी बाघ ने जानलेवा हमला किया था और बुरी तरह घायल कर दिया था, इसके बाद इस एक साल में ये चैथी घटना है जिसमें बाघ ने 8 फरवरी 2023 को कमला देवी पत्नी यशवंत सिंह, झड़गांव को जान से मार डाला।
इतनी घटनाओं के बाद यहाँ पर ग्रामीणों के लिये हर वक्त खौफ में रहना उनके लिए मजबूरी बन गया है, आखिर गाँव वाले जायें तो कहां जायें।