विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : राजनीति में कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना पंजाब में बदलती राजनीति का ही संकेत है। अमित शाह से मिलने पहुंचे अमरिंदर सिंह की शाह से लगभग 45 मिनट तक बात हुई। हांलाकि कैप्टन ने अपने पत्ते नहीं खोल हैं लेकिन शाह से मिलने के बाद पूरी उम्मीद की जा रही है कि वे भाजपा में शामिल हो जायेंगे।
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व द्वारा अपने अपमान की बात कहकर पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके पास सभी विकल्प खुले हैं।
वहीं, जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह के रहते कांग्रेस की पंजाब में पुनः सत्ता में वापसी की उम्मीद जता रही थी। वहां अचानक से नवजोत सिंह सिद्धू का पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनना, कैप्टन अमरिंदर का इस्तीफा देना, और चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना और अब नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पंजाब में कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया है।
उधर, पहले अकाली दल से गठबंधन टूटने और फिर कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा पंजाब में हो रहे विरोध के चलते हाशिये पर जाती भाजपा एक बार फिर से पंजाब की राजनीति का केंद्र बिंदू बनती दिख रही है। यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा का दामन थाम लेते हैं तो भाजपा को पंजाब में एक कद्दावर चेहरा मिल जायेगा और मृतप्रायः हो चुकी भाजपा में जान आ जायेगी। और यदि कैप्टन को जनता की सहानुभूति मिली तो हो सकता है कि पंजाब में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाये। यदि पूर्ण बहुमत नहीं भी मिलता है और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा हो गई तो फिर हो सकता है कि एक बार फिर से अकाली दल भाजपा से गठजोड़ कर पंजाब में सरकार बना ले।