नई दिल्ली (महानाद) : मोदी मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो बड़े सुधार करते हुए इससे जुड़े विधेयकों को मंजूरी दे दी।
पहला सुधार लड़कियों की शादी की उम्र से जुड़ा है। मोदी कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र अब एक समान यानी 21 वर्ष कर दी है। कानून लागू होने के बाद सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल हो जायेगी।
वहीं, चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को भी मंजूरी दी गई है। इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे। माना जा रहा है कि ये दोनों विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जाएंगे। यह दोनों ही सुधार अपने आप में क्रांतिकारी माने जा रहे हैं। लड़कियों और लड़कों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लालकिले से अपने संबोधन के दौरान की थी। वहीं, चुनाव सुधारों का मुद्दा चुनाव आयोग काफी समय से उठाता आ रहा है।
बता दें कि लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था। जिसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर 2020 में नीति आयोग को सौंप दी थी। टास्क फोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था और इसे समान रूप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मजबूत सिफारिश की है। मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा। इससे पहले एनआरआई मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा कदम उठाया गया था।
उधर, चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की सिफारिश की थी ताकि मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाया जा सके। फर्जी मतदाताओं या एक से अधिक जगह मतदाता सूची में दर्ज वोटरों को हटाने में भी मदद मिलेगी। चुनाव आयोग माइग्रेंट वर्करों को उनकी रिहायश के शहरों में वोट देने की मंशा रखता है और इससे यह कदम साकार हो सकेगा।
वन नेशन वन डेटा की दिशा में भी यह बड़ा कदम होगा। जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन करते हुए 1 जनवरी के बाद 18 साल के होने वाले युवाओं को साल में चार बार मतदान सूची में नाम दर्ज करने की अनुमति देने का प्रावधान भी इस विधेयक में होगा। अभी तक वे सिर्फ एक बार ही यह मौका हासिल करते हैं।