इंदौर (महानाद) : क्राइम ब्रांच की टीम ने एक फर्जी जमानत गैंग का भंडाफोड़ करते हुए 4 जालसाजों को पकड़ कर जेल भेज दिया। उक्त गैंग फर्जी ऋण पुस्तिकाओं से अपराधियों की जमानत करवा रहा था। गिरोह का सरगना पिछले 10 साल में हजारों लोगों की जमानत करवा चुका है। उसने जिला कोर्ट के पास में ही अपना अड्डा बना रखा था जहां जमानतदार, ऋण पुस्तिका और गवाह मौजूद रहते थे। पुलिस द्वारा कोर्ट कर्मचारियों और वकीलों की भूमिका की जांच भी कर रही है।
मामले की जानकारी देते हुए पुलिस उपायुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि अहीरखेड़ी निवासी प्रकाश चावड़ा गिरोह का सरगना है जो दो दिन पूर्व ही एक पुराने मामले में जेल चला गया है। उसके विरुद्ध एमजी रोड़ थाने में कईं मुकदमे दर्ज हैं जिसमें ज्यादातर कोर्ट द्वारा दर्ज करवाए गए हैं। प्रकाश के जेल जाते ही उसका भतीजा करण चावड़ा निासी अहिरखेड़ी ने गैंग की कमान संभाल ली थी। शनिवार को पुलिस ने जिला कोर्ट के पास, नावेल्टी के पीछे स्थित एक चाय की दुकान से करण पुत्र दीपक चावड़ा, प्रकाश पुत्र बलवंत मालवीय निवासी ग्राम मुंडली, रमेश पुत्र गंगाराम बोडना निवासी संत रविदास नगर तथा कैलाश पुत्र बद्री प्रसाद प्रजापत निवासी भगत सिंह नगर, सांवेर को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने करण के घर से 1000 खाली नकली ऋण पुस्तिकाएं, जमानतदारों के नाम लिखी 80 ऋण पुस्किताएं, तहसीलदार व अन्य राजस्व अधिकारियों के पदनाम लिखी रबर की मोहरें बरामद की हैं।
क्राइम ब्रांच के के डीसीपी निमिष अग्रवाल ने बताया कि पुलिस को 100 से ज्यादा पुस्तिकाओं के ऐसे पन्ने मिले हैं जिन पर जिला न्यायालय के विभिन्न जजों की सीलें लगी हुई हैं। आरोपी उक्त जजों की कोर्ट से अपराधियों की जमानतें मंजूर करवा चुके थे।
उन्होंने बताया कि गिरोह का मुख्य सरगना प्रकाश चावड़ा पिछले 10 सालों से जिला कोर्ट में ही सक्रिय है। प्रकाश का कईं वकीलों और कोर्ट कर्मचारियों से सीधा संपर्क है। जमानत की तस्दीक करने वाले भी प्रकाश को अच्छी तरह जानते है। इसके बाद भी वह फर्जी ऋण पुस्तिकाओं से धड़ल्ले से जमानतें मंजूर करवा रहा था।
एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर के मुताबिक प्रकाश ने ग्रामिणों, मजदूरों और बेरोजगारों की ऐसी टीम तैयार कर ली थी जो शराब की बोतल और बस के किराए में फर्जी जमानतदार बनने के लिए तैयार हो जाते थे। प्रकाश खाली ऋण पुस्तिका में उस व्यक्ति का नाम भरकर फोटो और सील लगा कर कोर्ट में खड़ा कर देता था।
पाराशर के मुताबिक प्रकाश खाली ऋण पुस्तिका अपने झोले में तैयार रखता था। उसने तय कर रखा था कि वह केस के अनुसार ही जमानत के रुपये लेगा। कोर्ट जितने रुपये की जमानत मंजूर करती प्रकाश उसी हिसाब से मुलजिम से रुपये लेता था। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ कि प्रकाश ने इतनी संख्या में फर्जी ऋण पुस्तिकाएं कहां से छपवाई है।
गैंग के पास से धार, महिदपुर, टोंकखुर्द, देपालपुर, घटिय, बोलाई, गुलाना, हातोद, रतलाम, देवास, कन्नौद, सांवेर, महू, देवास, सोनकच्छ, अंबेडकरनगर, तराना, नागदा, उज्जैन, तहसील कार्यालयों की रबर की सीलें बरामद हुई हैं।