ट्रांसफर के बावजूद कुर्सी न छोड़ने वाले चिकित्साधीक्षक से भाजपाईयों ने करवाये रिलीव लैटर पर साइन

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पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद) : सरकारी अस्पताल में लगातार शिकायतें होने के बावजूद चिकित्साधीक्षक हितेश शर्मा को शासन द्वारा हटा दिया गया लेकिन आदेश के एक सप्ताह के बाद भी चिकित्साधीक्षक ने कार्यभार नहीं छोड़ा। जिस पर भड़के भाजपाईयों ने अस्पताल पहुंचकर चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश शर्मा से शासन के आदेश का पालन करते हुए कार्यभार छोड़ने की मांग की।

आपको बता दें कि भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष राजकुमार सिंह चौहान के नेतृत्व में दर्जनों भाजपाईयों ने सरकारी अस्पताल पहुंचकर ट्रांसफर होने के बावजूद चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश कुमार शर्मा द्वारा कुर्सी न छोड़ने पर रोष व्यक्त कर विरोध प्रदर्शन किया।

यहां बता दें कि शासन द्वारा जसपुर सीएचसी के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश कुमार शर्मा को स्थानांतरित कर उनकी जगह डॉक्टर धीरेंद्र मोहन गहलौत को जसपुर चिकित्सालय का नया विकित्साधीक्ष बनाया गया है। बावजूद इसके डॉ. हितेश कुमार शर्मा विगत 1 सप्ताह से शासन के आदेश को दरकिनार कर कुर्सी पर जमे हुए थे। डॉ. की इस हरकत से भड़के भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीएचसी पहुंचकर डॉ. हितेश कुमार शर्मा को कुर्सी छोड़ने एवं शासन के नियमों का पालन करने की अपील की और तुरंत संबंधित चिकित्सा अधिकारी को चार्ज देने तथा रिलीव लेटर पर साइन करने को लेकर डॉ शर्मा पर दबाव डाला। भाजपाइयों के चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के सामने जमकर बैठने पर आखिरकार चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश शर्मा ने रिलीव लेटर पर साइन कर दिए।

मामले की जानकारी देते हुए भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष राजकुमार सिंह चौहान ने बताया कि उन्हें लंबे समय से शिकायत मिल रही थी कि चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश शर्मा का व्यवहार एवं कार्यशैली संतोषजनक नहीं है। जिससे जनता में आक्रोश पनप रहा है। डॉ. हितेश शर्मा की हिटलर शाही से जनता त्रस्त थी। उक्त समस्या के संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को भी अवगत कराया था। इसीके दृष्टिगत उत्तराखंड शासन, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग, अपर सचिव कार्यालय द्वारा चिकित्साधीक्षक डॉ. हितेश शर्मा का ट्रांसफर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सैणामानपुर (अल्मोड़ा) कर वरिष्ठ चिकित्सा अधिक्षक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सैणमानपुर (अल्मोड़ा) डॉ. धीरेंद्र मोहन गहलौत को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जसपुर से तत्काल प्रभाव से संबद्ध किया गया था।

आपको बता दें कि डॉ. धीरेन्द्र मोहन गहलौत ने आदेश का पालन करते हुए तत्काल कार्यभार ग्रहण कर लिया लेकिन डॉ. हितेश शर्मा अस्पताल में ही चिकित्साधीक्षक की कुर्सी पर जमे हुए थे। मामले को लेकर अस्पताल परिसर में गहमागहमी रही। चिकित्साधीक्षक को हटाने का मामला नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस मौके पर भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष राजकुमार सिंह चौहान, बलराम तोमर, भगवान दास गौतम, अभिषेक, शीतल जोशी, सुधीर विश्नोई, कमल चौहान, करण चौधरी, करणवीर, रणवीर चौधरी, शिव किशोर, विशाल, अनीता, ज्योति आदि दर्जनों भाजपाई मौजूद रहे।

गौरतलब है कि हमेशा विवादों में रहे डॉ. हितेश कुमार शर्मा का जसपुर में आने के बाद से ही साथी डॉक्टरो से 36 का आंकड़ा रहा है। शुरुआत में डॉक्टर देवेश चौहान से सीएचसी की मुख्य कुर्सी को लेकर विवाद रहा। जब डॉ. हितेश शर्मा ने जमीन पर बैठकर मरीज देखे और शासन पर दबाव डालकर खुद मुख्य चिकित्साधीक्षक की कुर्सी संभाली। उसके बाद से लगातार डॉ. हितेश कुमार शर्मा विवादों में बने रहे।

यही नहीं उनका अपने साथी डॉ. संजीव देशवाल से भी भयंकर विवाद हो गया था। डॉ. हितेश शर्मा के विरोध में जाकर डॉ. संदीप देशवाल ने एक कक्ष में जमीन पर बैठकर मरीज देखे। वहीं महिला डॉक्टर को लेकर भी समय-समय पर विवाद की स्थिति बनी रही। अब जब शासन ने आदेश किया तो डॉक्टर धीरेंद्र मोहन को चार्ज देने के बजाय डॉ. हितेश शर्मा ने कुर्सी नहीं छोड़ी। भाजपाइयों के दबाव में उन्होंने जूनियर डॉ. टी पूजा को कार्यभार सौंप दिया। इससे जसपुर के भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है, यूं कहें कि डॉ शर्मा की इस हरकत से जसपुर के भाजपाई नाखुश हैं।

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