सीडीएस बिपिन रावत की मृत्यु पर हर्ष जताने वालों को किया जाये दंडित

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  • अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कडवे बोल ।
  • सेकुलर गैंग धर्मनिरपेक्षता तथा देश की स्वतंत्रता के लिए खतरा ।

गोविंद शर्मा
देवबंद (महानाद) : सीडीएस विपिन रावत उनकी पत्नि तथा अन्य 11 सैनिकों की आकस्मिक दर्दनाक मौत से पूरा देश दुख में भरा है, मगर ऐसी घड़ी में भी देश के कुछ लोगों ने अपने ट्वीट में घटना और सीडीएस की दुखद मृत्यु पर खुशी का इजहार किया है, जो निन्दनीय और घोर अपराध के साथ देश के भविष्य के प्रति अशुभ संकेत है।

बुधवार को इस दिल दहलाने वाली घटना विमान क्रेश की खबर देशवासियों के सामने आई तो पूरा देश शोक में डूब गया था। इस दुर्घटना में सीडीएस विपिन रावत उनकी पत्नि तथा 11 जवान शहीद हो गए थे। देश शोक में डूब गया था लेकिन इन्हीं 135 करोड़ देशवासियों के बीच बड़ी संख्या में वह लोग भी थे जिन्होने ििपन रावत की मृत्यु पर हर्ष जताया है। जैसे ही यह दिल दहलाने वाली घटना देशवासियों के सामने आई तभी कुछ लोगों के ट्वीट सामने आये, जिनमें इस दुर्घटना पर हर्ष की अनुभूति दर्शाई गई थी। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में समाज विशेष के लोगों की बातचीत भी साफ दर्शा रही थी कि उनको सीडीएस बिपिन रावत की मृत्यु का लेशमात्र भी दुख नहीं है।

समाज विशेष के लोगों का तथा उनके साथ कुछ दूसरे लोगों का ऐसा आचरण अभिव्यक्ति की आजादी नहीं बल्कि देश के साथ गद्दारी है। यह सब गम्भीर चिंता का विषय है। इस दुख की घड़ी में एकजुटता दिखाने के बजाये कुछ लोगों का देशविरोधी आचरण चिन्ता का विषय है और इसकी जितनी निन्दा की जाये कम है। भारत में रहने वाले ऐसे गद्दारों के प्रति कानूनी कार्रवाई का किया जाना आवश्यक है। देश के सैकुलरों के संरक्षण में पल रहे गद्दारों के विरुद्ध समय-समय पर उनके देश विरोधी बोलों पर चुप रहना लगातार उन गद्दारों के हौसले बढ़ा रहा है। जो भारत पाकिस्तान मैच में भारत की हार पर खुशियां मनाते हैं। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम से भारत की टीम के हारने पर पटाखे जलाने की घटना ज्यादा पुरानी नहीं है। यदि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कहना और करना जारी रहा तथा इन देश के दुश्मनों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो यह देश एक बार पुनः कट्टरपंथी देशविरोधियों का गुलाम होगा। देश में भारत विरोधियों की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही है, जो घातक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम राष्ट्र भक्त नेताओं को इस पैदा होती स्थिति को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने में जरा भी देरी और संकोच नही करना चाहिए ।

वर्तमान हालातों को देखते हुए देश का बडा तबका स्व. इन्दिरा गांधी के द्वारा लगाई एमरजेंसी को याद करता है और कहता है कि इस समय देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ऐसे हालात पैदा कर दिए गये है कि देश में इमरजेंसी लगा देनी चाहिए और देश की कमान सेना को सौंप दी जाये। इस लोकतंत्र देश की संवैधानिक व्यवस्था को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर छिन्न भिन्न करने के साथ देश को एक बार पुनः फासिस्ट ताकतों का गुलाम करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है ।

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