विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : पं. गो. ब. पं इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य/पूर्व प्रधानाचार्य की कशमकश के बीच अजय शंकर कौशिक ने दावा किया है कि वे ही पं. गो. ब. पं इंटर कॉलेज के असली प्रधानाचार्य हैं।
प्रेस को जारी बयान में अजय शंकर कौशिक ने कहा कि कॉलेज में प्रवक्ता हिंदी के पद पर कार्यरत प्रमोद कुमार की ड्यूटी कस्टोडियन के रूप में राजकीय इंटर कॉलेज जोशी मझरा में लगाई थी, जिस पर न जाने के कारण उन को निलंबित किया गया था। लेकिन उन्होंने कोर्ट में गलत तथ्य दिये कि वे कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत हैं और परीक्षा प्रभारी भी है। जबकि वास्तविकता यह है कि उनको परीक्षा प्रभारी के पद से उन्होंने (प्रधानाचार्य अजय शंकर कौशिक) 16 सितंबर 2020 को ही परीक्षा प्रभारी पद से हटा कर इसकी सूचना मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा प्रबंधक को भी दी गई थी। इसके पश्चात कुमार अमित नारंग को परीक्षा प्रभारी बना दिया गया था।
कौशिक ने बताया कि वर्ष 2021-22 की परीक्षा के जितने भी कागज तैयार किए गए थे उन सभी में कुमार अमित नारंग के परीक्षा प्रभारी के रूप में हस्ताक्षर हैं। साथ ही वर्ष 2022-23 की परिषदीय परीक्षा के सभी आइटीआर फॉर्म एवं स्मारिका में भी कुमार अमित नारंग के परीक्षा प्रभारी के रूप में हस्ताक्षर हैं जो सिद्ध करता है कि प्रमोद कुमार विद्यालय में परीक्षा प्रभारी के पद पर कार्यरत नहीं है। वहीं प्रमोद कुमार कहते हैं कि वे विद्यालय में कार्यवाहक प्रधानाचार्य हैं लेकिन विद्यालय के प्रबंध संचालक रंजीत सिंह नेगी ने 27 फरवरी 2023 को उन्हें उनके पद से हटा दिया था और विद्यालय के विभाग द्वारा नियुक्त प्रधानाचार्य अजय शंकर कौशिक (उन्हें) अपने पद पर कार्य करने के लिए आदेशित किया था। किंतु प्रमोद कुमार ने भंग प्रबंध कार्यकारिणी के साथ मिलकर उन्हें विद्यालय में बलपूर्वक प्रवेश नहीं करने दिया। प्रमोद कुमार अवैधानिक रूप से कार्यवाहक प्रधानाचार्य की मोहर से हस्ताक्षर करते चले आ रहे हैं जबकि विद्यालय में वास्तविक प्रधानाचार्य वे हैं जिन्हें विभाग द्वारा उन्हीं को प्रधानाचार्य की मान्यता दी गई है। प्रमोद कुमार उच्च न्यायालय तथा विभाग दोनों को ही गुमराह कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने इनकी निलंबन वापसी की है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि इनके द्वारा की गए अनियमितताओं के कारण इनको चार्जशीट सौंपी जाए जो विभाग द्वारा इनको सौंप दी गई है। यदि यह उसका सही जवाब नहीं दे पाते हैं तो पुनः इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। जबकि ये भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि इनको कार्यवाहक प्रधानाचार्य के पद पर वापसी की गई है। जबकि विद्यालय में वास्तविक प्रधानाचार्य वे खुद (अजय शंकर कौशिक) कार्यरत हैं।
कौशिक ने कहा कि वर्तमान में प्रबंध कार्यकारिणी भंग हैं तथा इनका प्रबंध संचालक का आदेश न मानना कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। विद्यालय के स्टाफ को वेतन नहीं मिल पाया इनके द्वारा अवैधानिक रूप से रखे हुए कर्मचारी के द्वारा विद्यालय के बिल को गलत पासवर्ड डालकर के लगातार ब्लॉक किया गया। खंड शिक्षा अधिकारी रणजीत सिंह नेगी द्वारा तथा मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी पीसी सुयाल द्वारा तथा स्वयं उनके (प्रधानाचार्य अजय शंकरकौशिक) द्वारा विद्यालय के शिक्षकों से बार-बार वेतन का बिल भेजने के लिए कहा गया, लेकिन इनके द्वारा वेतन का बिल नहीं भेजा गया ताकि प्रधानाचार्य तथा प्रबंध संचालक के हस्ताक्षर द्वारा स्टाफ का वेतन न आ जाए।
कौशिक ने आरोप लगाया कि प्रमोद कुमार तथा भंग कार्यकारिणी के गुंडों के द्वारा उन्हें विद्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा जिस कारण वे खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अपनी उपस्थिति लगातार देते चले आ रहे हैं। कौशिक ने कहा कि प्रमोद कुमार द्वारा बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा कक्षा 9 तथा 11 का परीक्षा परिणाम अभी तक वितरण नहीं किया गया है। विद्यालय के प्रधानाचार्य के तौर पर उन्होंने
व्हाट्सएप ग्रुप पर यह सूचना दी थी कि समय से परीक्षा परिणाम तैयार करके उनके हस्ताक्षर हेतु खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भेजा जाए लेकिन इन्होंने वह परीक्षा परिणाम खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नहीं भेजा और आज दिनांक तक भी कक्षा 9 तथा 11 का परीक्षा परिणाम वितरित नहीं किया गया है। जबकि परीक्षा परिणाम पर खंड शिक्षा अधिकारी के भी हस्ताक्षर भी होते हैं।
अजय शंकर कौशिक ने बताया कि वर्ष 2014 में जब उन्होंने विद्यालय का चार्ज लिया था तब इस विद्यालय की छात्र संख्या 616 थी वर्तमान में विद्यालय की संख्या 992 है। वर्तमान में विद्यालय अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों माध्यम में संचालित है। प्रत्येक वर्ष बच्चे उत्तराखंड की मेरिट में प्रवेश प्राप्त करते हैं। विद्यालय के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करते हैं। यह सब उनकी और उनके स्टाफ की कड़ी मेहनत का नतीजा है लेकिन विद्यालय के कुछ विरोधी अवैधानिक तरीके से विद्यालय की छवि को और प्रधानाचार्य (उनकी) की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आपको बता दें कि कॉलेज प्रबंध समिति ने अजय शंकर कौशिक पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पेंड कर प्रमोद कुमार को कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया था। वहीं खंड शिक्षा अधिकारी ने प्रमोद कुमार की नियुक्ति रद्द कर अजय शंकर कौशिक को पुनः प्रधानाचार्य बनाया था। लेकिन प्रबंध समिति के हाईकोर्ट का रुख करने के पश्चात से आज तक कौशिक कॉलेज जाकर प्रधानाचार्य का चार्ज संभाल नहीं पाये हैं। वहीं प्रबंध समिति ने खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाये हैं। मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। इसका पूर्ण हल भी कोर्ट द्वारा ही हासिल होगा, ऐसा लगता है।