मुख्यमंत्री योगी को मिली धमकी के बाद देवबंद फिर आया चर्चा में

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गोविन्द शर्मा
देवबंद (महानाद) : जी हां देवबंद एक बार पुनः देश और दुनिया के मीडिया की चर्चाओं में आ गया है। देवबंद से एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जान से मारने की धमकी दी गई है। इस बात को मामूली नहीं माना जा सकता है, यह सोची समझी साजिश है और इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि देवबंद में कही ना कही राष्ट्र विरोधी तत्व लम्बे समय से अपनी जड़े जमाए हुए हैं।

जब भी कोई आतंकवादी या पाकिस्तान का एजेन्ट पकड़ा जाता है, तभी देवबंद का नाम चर्चाओं में आता है, लेकिन उसके बाद भी शासन-प्रशासन इस ओर मंथन नहीं करता है। नगर की घनी मुस्लिम आबादी में मौजूद प्राईवेट हॉस्टलों, मस्जिद और मदरसों में बाहरी लोग बड़ी संख्या में रह रहे हैं परन्तु इनके बारे में कोई ठोस जानकारी प्रशासन के पास नहीं है। इस सम्बंध में मीडिया भी कई बार लिख चुका है और शासन प्रशासन से कोई ठोस कार्रवाई करने के लिए कह चुका है ।

चर्चा है कि म्यांमार विवाद के बाद से बड़ी संख्या में रोहिग्यां चोरी से आकर देवबंद में छिपे हैं। बांग्लादेशी और कश्मीरी यहां पहले से मौजूद ही नहीं शादी करके अपना घर भी बसा चुके हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जान से मारने की धमकी देने के बाद भी यदि शासन-प्रशासन ने इस ओर गम्भीरता से जांच नहीं की तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। चिंता की बात यह है कि देवबंद से समय-समय पर आतंकी, आईएसआई के एजेंट सहित कई संदिग्ध पकड़े जाते रहे हैं। देवबंद में स्काउट गाइड की आड़ में कोई छुपा एजेंडा चलाने के लिए एक मुस्लिम संगठन ने अरबों रुपया खर्च करके ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए भूमि खरीदी है। वहीं दूसरी ओर इन्हीं लोगों ने एटीएस सेन्टर का विरोध किया है। इसके पीछे यहां कोई बड़ी साजिश रचे जाने की संभावना है। उत्तर प्रदेश सरकार को देवबंद में व्यापक जांच अभियान चलाकर बांग्लादेशी व रोहिंग्या राष्ट्रविरोधी तत्वों की खोज करने के लिए व्यापक अभियान चलाना चाहिए।

बता दें कि देवबंद नगर वर्ष 1970 के दशक से आतंकियों की शरण स्थली के रूप में रहा है। यहां सबसे पहले कश्मीरी आतंकियों के समर्थक व सहयोगियों को दबोचा गया था और इसके बाद तो कई लोग पकड़े गये, जिनमें बांग्लादेशी भी थे। एक पाक एजेंट को फर्जी जमानत पर छुड़ा लिया गया था। नगर में धमाके तथा पीएसी पिकेट पर हथगोले से हमला भी हुआ था। इस हमले मे पीएसी के जवान अर्जुन को अपनी एक टांग गंवानी पड़ी थी। समय-समय पर बाहर की पुलिस यहा से संदिग्धों को उठाती रही है। मगर फिर भी कोई ठोस कार्रवाई यहां नहीं हुई है। देश की सुरक्षा के लिए नगर में बाहर से आकर रह रहे लोगों की जांच आवश्यक है। बाहर से आये तमाम लोग किराये के मकानों, मदरसों के हॉस्टलों, तथा नगर व आसपास ग्रामों के मदरसों तथा मस्जिदों में छिपे हो सकते हैं। ऐसे तत्व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जिला संयोजक राव मुशर्रफ अली को भी कई बार धमकी दे चुके हैं। सरकार को इस ओर भी गम्भीरता से मनन करना चाहिए कि आखिर देवबंद का नाम ही बार-बार क्यों आता है। सरकार को देवबंद में छिपे देश व समाज विरोधी तत्वों विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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