काशीपुर (महानाद) : समाजसेवी अरुण अरोरा बब्बी ने उत्तराखंड सरकार पर जोदरदार हमला बोेलते हुए कहा कि सरकार द्वारा कोरोना काल में जनता के पैसे की खुलकर बर्बादी की जा रही है। जब नगर क्षेत्र में सामाजिक संस्थाओं के भवन हैं तो फिर होटल किराए पर लेने की क्या आवश्यकता थी? जो पैसा इन होटलों पर खर्च होगा वह कोरोना से पीड़ित जनता पर खर्च किया जा सकता था।
बब्बी ने बताया कि नगर के दो व्यवसायिक होटल कोरोना पीड़ितों के लिए केयर सेंटर बनाए जा रहे हैं, जो नागरिकों के लिए निःशुल्क होंगे और इन होटलों में होने वाले खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रश्न उठता है कि शासन प्रशासन को जब अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं एवं औद्योगिक संस्थाओं द्वारा अपने इंफ्रास्ट्रक्चर सहित हर संभव मदद का प्रस्ताव था तो फिर सरकार को होटलों को किराए पर लेने की आवश्यकता आखिर क्यों हुई? यह जनता के पैसे की बर्बादी है।
बब्बी ने कहा कि गुरद्वारा ननकाना साहिब काशीपुर के पास सराय और हॉल की पूरी व्यवस्था है। राधा स्वामी सत्संग ब्यास संस्था का काशीपुर आश्रम जसपुर रोड पर स्थित है। जिसका क्षेत्रफल लगभग 5 एकड़ है एवं एक काफी बड़ा टीन शेड मूलभूत सुविधाओं के साथ पहले से ही वहां पर मौजूद है। पिछले लॉकडाउन के दौरान रुद्रपुर आश्रम कुमाऊं का प्रमुख कोरोना केयर सेंटर बना हुआ था, दिल्ली आश्रम आज भी भारत के सबसे बड़े कोरोना केयर सेंटरो मैं से एक है। जब दूसरे शहरों में ऐसा हो सकता है तो फिर काशीपुर में क्यों नहीं? काशीपुर के निरंकारी आश्रम पटेल नगर को भी जो शहर के बीचांे बीच व्यवस्थित सत्संग स्थल है, प्रयोग में लाया जा सकता था। इसके अलावा भी स्टेडियम, आईआईएम आदि और भी विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद थे मगर प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस और जानने या सलाह देने की कोई जरूरत नहीं समझी।
बबबी ने कहा कि सरकार इन व्यवसायिक होटलों पर धन खर्च करने की बजाए प्रशासन को सुशासन का ऐसा मॉडल तैयार करना चाहिए जिसमें कम खर्च में अधिक से अधिक नागरिकों को लाभान्वित किया जा सके। प्रश्न काशीपुर के जनप्रतिनिधियों से भी है कि जब मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों को विधायक निधि से एक करोड़ रुपए क्षेत्र में कोविड महामारी की रोकथाम पर खर्च करने का आदेश दिया है तो फिर काशीपुर के जनप्रतिनिधियों द्वारा धरातल पर क्या किया गया? इसका उन्हें जवाब देना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा किया जा रहा कोई भी खर्च नजर ही नहीं आ रहा है।
बब्बी ने कहा कि काशीपुर में कोरोना कर्फ्यू तो लग रहा है लेकिन निगम द्वारा शहर को सैनिटाइज करने की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। आखिर क्यों? न ही नगर निगम द्वारा शहर में फाॅगिंग कराई जा रही है जिससे मच्छरों का साम्राज्य कायम है। कुल मिलाकर चुने हुए जनप्रतिनिधि कहीं भी अपनी कसौटी पर खरे उतरते नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि समाजसेवी लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। अतः धन्यवाद और आभार है उन समाजसेवियों और काशीपुर के उन सुपर हीरोज का जो जनप्रतिनिधि विहीन इस काशीपुर को बचाने के लिए हर संभव संघर्ष कर रहे हैं।