देहरादून (महानाद) : डीजीपी अशोक कुमार की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर पैसे मांगने के आरोपियों को एसटीएफ ने 200 किमी पीछा कर राजस्थान के भरतपुर से गिरफ्तार कर लिया।
मामले का खुलासा करते हुए डीआईजी एसटीएफ डॉ. निलेश आनंद भरणे ने बताया कि विगत 15 जून को शहर कोतवाली में डीजीपी अशोक कुमार की फर्जी फेसबुक आईडी बनाने को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद पुलिस मुख्यालय ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए आठ टीमों का गठन किया और 200 पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों की टीमों को साइबर ठगों के गढ़ों में भेजा गया।
जांच के दौरान पता चला की डीजीपी की आईडी जिस नंबर से बनाई गई है वह मोबाइल नंबर राजस्थान के भरतपुर में चल रहा है। जबकि इसकी आईडी लखीमपुर खीरी निवासी रामलखन के नाम पर है। पुलिस की एक टीम ने खीरी जाकर पता किया तो मालूम हुआ कि उनके गांव में राशन कार्ड बनाने वाली एक टीम आई थी, जिसने मशीनों पर गांव वालों के अंगूठे लगवाए थे तथा उनकी आईडी ली थी। इसके बाद फेसबुक से आईडी के बारे में पता किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि उक्त आईडी भरतपुर में शेर मोहम्मद के नाम से संचालित की जा रही है। इसके बाद शेर मौहम्मद के बारे में जानकारी जुटाई गई तो मालूम हुआ कि उसकी मृत्यु तो अप्रैल में हो चुकी है और उसका दामाद इरशाद निवासी जुरूहेरा, भरतपुर (राजस्थान) इस आईडी के जरिए लोगों की आईडी बनाकर उन्हें ठगता है। इस काम में शेर मोहम्मद का दूसरा दामाद अरशद और बेटा जाहिद भी उसका साथ देते हैं। जिसके बाद एसटीएफ ने जाहिद को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ करने पर जाहिद ने बताया कि इरशाद ट्रॉले से हैदराबाद गया हुआ है। जिस पर एसटीएफ भी 200 किमी दूर उसके पीछे-पीछे हैदराबाद पहुंची लेकिन तब तक इरशाद वापिस लौटकर भरतपुर आ गया था जहां उसे पुलिस की एक टीम ने गिरफ्तार कर लिया।
मामले में जानकारी देते हुए एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान इरशाद ने बताया कि वह केवल 12वीं पास है। उसके गांव के बहुत सारे लोग फेसबुक आईडी बनाकर लोगों को ठगने के धंधें में लगे हुए हैं। ये लोग साइबर ठगी के कई माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों को ठगते हैं। ठगी के मास्टर ये लोग बाकायदा स्कूलों में ट्रेनिंग देकर साइबर ठगी करना सिखाते हैं।
एसएसपी ने बताया कि ठगी करने के बाद ये लोग अपने गांवों में ही रहते हैं। भरतपुर, जमतारा, मेवात आदि कई जगह साइबर ठगों का गढ़ बन गई हैं। इन सभी अपराधियों की कार्यशैली एक जैसी है। इन गांवों में छोटे-छोटे एटीएम लगे हुए हैं जिनके जरिए ये ठगी के जरिए कमाये हुए रुपये निकाल लेते हैं।