बता दें कि एंबुलेंस के नाम पर मनमाना किराया केवल प्राइवेट अस्पताल ही नहीं ले रहे हैं बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी किराए की एक समान व्यवस्था नहीं है। एक अस्पताल से दूसरे सरकारी अस्पताल में मरीजों को रेफर करने पर लोगों से ओपीडी पर्चे के आधार पर शुल्क लिया जाता है। जो अलग अलग है। ऐसे में मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्हें निर्देश दिए हैं कि एंबुलेंस का किराया तय कर इसमें एकरूपता लाई जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें एंबुलेंस के नाम पर लूट की कई शिकायत मिली हैं।
गौरतलब है कि कई बार सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस नहीं मिल पाती तो प्राइवेट एंबुलेंस लेनी पड़ती है। जिसका किराया मनमाफिक तौर पर लिया जाता है। हालांकि कोरोना काल के दौरान कई जिलाधिकारियों ने एंबुलेंस के रेट निर्धारित कर दिए थे। लेकिन फिर भी रेट अलग अलग हैं। कोई 15 रुपए किमी तो कोई उससे भी ज्यादा दरों से किराया लेता है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ने रेट को एकरूपका देने का फैसला लिया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से प्रस्ताव तैयार होने के बाद आगे का काम किया जाएगा।