काशीपुर: पं. गो.ब.पं. समिति के खिलाफ दर्ज हुआ रंगदारी मांगने का मुकदमा, समिति बोली कोर्ट कर चुकी है आरोप खारिज

0
1259

विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद): एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत इण्टर कॉलेज शिक्षा समिति के खिलाफ प्रधानाचार्य अजय शंकर कौशिक से 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगने व मारपीट करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं समिति की ओर से डॉ. नीरज आत्रेय ने बताया कि अजय शंकर कौशिक द्वारा लगाये गये उक्त आरोपों को कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है।

एसएसपी उधम सिंह नगर को भेजे प्रार्थना पत्र में अजय शंकर कौशिक ने बताया कि वह 17-04-2014 से पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत इण्टर कॉलेज काशीपुर में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त हैं। 27 जनवरी 2023 को मुख्य शिक्षा अधिकारी ऊधम सिंह नगर द्वारा पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत इण्टरमीडिएट कॉलेज की प्रबंध कार्यकारिणी की चुनाव की अनुमोदित सूची मांगी गई थी। जिसकी सूचना उन्होंने प्रबंधक डॉ. सतीश कुमार शर्मा को दी थी तब उन्होंने उनसे कहा कि हम सूची का मामला खुद देख लेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सूची नहीं दी तो वेतन नहीं आएगा। जिस पर तब प्रबंधक ने उन्हें डांट दिया कि ज्यादा मत बोलो हम देख लेंगे।

Advertisement

कौशिक ने बताया कि समिति द्वाराषड्यंत्र के तहत रजिस्टर गायब करने का एक झूठा प्रार्थना पत्र उनके विरुद्ध कोतवाली काशीपुर में दिया गया। जबकि रजिस्टर की एक प्रति कॉलेज की प्रवक्ता प्रिया गोयल के पास थी। दिनांक 30 जनवरी 2023 को दीपिका गुड़िया पत्नी डॉ. नीरज आत्रेय ने रजिस्टर को बिना किसी अधिकार के विद्यालय की प्रवक्ता प्रिया गोयल से उक्त रजिस्टर छीन लिया और 30 जनवरी 2023 को उनका प्रधानाचार्य कक्ष उनकी उपस्थिति में दीपिका गुड़िया, प्रबंधक डॉ. सतीश कुमार शर्मा, मनोज कौशिक सदस्य प्रबंध कार्यकारिणी, संजय कचौरिया, सदस्य कार्यकारिणी द्वारा अनाधिकृत रूप से सील कर दिया जोकि प्रबंध कार्यकारिणी का अधिकार नहीं था।

कौशिक ने बताया कि 1-02-2023 को वह विद्यालय के गेट पर प्रबंधक सतीश कुमार शर्मा व हुकुम सिंह चपरासी व प्रमोद कुमार प्रवक्ता व अन्य इनके द्वारा बुलाये गये लोगों ने विद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया और उन्हें गंदी गंदी गालियां दी, थप्पड़ घूंसे मारे व जान मारने की धमकी देकर भगा दिया। प्रबंधक ने उनसे कहा कि यदि कॉलेज में दोबारा घुसा तो जान से मरवा दूंगा।

कौशिक ने बताया कि उनकी शिकायत पर अपर निदेशक माध्यमिक कुमांऊ मण्डल नैनीताल द्वारा 20-02- 2023 को प्रबंध कारिणी को वर्ष 2021 में चुनाव न कराये के कारण प्रबंध कार्यकारिणी को अवैध पाते हुए भंग कर दिया गया और खण्ड शिक्षा अधिकारी काशीपुर को प्रबंध संचालक नियुक्त कर दिया। 27-02-2023 को उन्हें पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत इण्टरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य का चार्ज ग्रहण करने बाबत प्रबंध संचालक पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत इण्टरमीडिएट कॉलेज काशीपुर ऊधम सिंह नगर द्वारा आदेशित किया गया लेकिन 28-02-2023 को उन्हें उक्त विद्यालय की भंग प्रबंध कार्यकारिणी के गुंडों द्वारा विद्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया। उसके बाद भी बाद भी अब तक प्रबंध कमेटी व उनके गुंडों उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।

कौशिक ने बताया कि डॉक्टर नीरज आत्रेय, दीपिका गुड़िया आत्रेय, डॉ. सतीश कुमार शर्मा ने उन्हें धमकाकर 20 लाख रुपये की रंगदारी की मांग की जा रही है और यह भी कहा जा रहा है कि यदि 20 लाख रुपये नहीं दोगे तो तुम्हें नौकरी से हटा देंगे व बलात्कार, चोरी लूट, पाक्सो तथा एससी एक्ट के मुकदमे में जेल भिजवा देंगे या तुम्हें जान से मरवा देंगे।

एसएसपी के आदेश पर कोतवाली काशीपुर पुलिस ने उक्त लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

वहीं, प्रबंध समिति की ओर से जानकारी देते हुए डॉ. नीरज आत्रेय ने बताया कि अजय शंकर कौशिक द्वारा लगाये गये सभी आरोप झूठे व निराधार हैं। उनके द्वारा अपने पुत्र को बिना कॉलेज में पढ़े पास करने व पीटीए में धांधली के आरोप हैं। जिसके बाद उन्हें समिति द्वारा सस्पेंड किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा अजय शंकर कौशिक पर लगे आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है।

डॉ. आत्रेय ने बताया कि जो आरोप इन्होंने समिति पर लगाये गये हैं उन्हीं आरोपों को लेकर अजय शंकर कौशिक ने 156/3 के तहत एसीजेएम काशीपुर की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। 2 मई 2023 को उक्त प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायाधीश काशीपुर मिथिलेश पाण्डेय ने खारिज कर दिया था।

अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि प्रार्थी द्वारा जो मौखिक कथन किए गए हैं, उनके आधार पर कोई संज्ञेय मामला बनना प्रतीत नहीं होता तथा प्रार्थी द्वारा कूटरचना तथा खाते से धनराशि निकाले जाने के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य इस स्तर पर पत्रावली पर दाखिल नहीं किया गया है। प्रार्थी द्वारा किए गए कथन बढ़ा-चढ़ाकर किए गए दर्शित होते हैं तथा इस स्तर पर प्रार्थी के कथनों के आधार पर संज्ञेय मामला बनना प्रतीत नहीं होता और न ही विवेचना कराए जाने की कोई आवश्यकता प्रतीत होती है। तदनुसार प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here