चेन्नई (महानाद): 10 साल बेटों की कैद में रह रही एक मां को तमिलनाडु के चेन्नई से मुक्त कराया गया है। महिला के दोनों बेटे सरकारी नौकरी करते हैं लेकिन उन्होंने अपनी मां को घर में बेहद बुरे हालात में रखा हुआ था। 15 अप्रैल 2022 को समाज कल्याण विभाग द्वारा महिला को बंधकमुक्त कराने के बाद तमिल विश्वविद्यालय पुलिस ने दोनों बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस ने ज्ञानजोठी नाम की महिला के दो बेटों पुलिस इंस्पेक्टर शनमुगसुंदरम (50 वर्ष) और पट्टुकोट्टई में दूरदर्शन के कर्मचारी वेंकटेशन (45 वर्ष) पर माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम की धारा 24 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं, महिला के बड़े बेटे शनमुगसुंदरम ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उसका छोटा भाई हर महीने मां की 30 हजार रुपये की पेंशन का उपयोग कर रहा है इसलिए वही उनकी मां की देखभाल के लिए जिम्मेदार है।
बता दें कि एक अज्ञात व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो में महिला को नाजुक स्थिति में एक घर के अंदर नग्न अवस्था में लेटे हुए देखकर समाज कल्याण विभाग को फोन किया था। जिसके बाद 72 साल की ज्ञानजोथी को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बचाया था। जिला कलेक्टर दिनेश पोनराज ओलिवर ने कहा कि महिला को इलाज के लिए तंजावुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
वहीं, पड़ोसियों ने बताया कि महिला के बेटों ने उनके लिए खाने की व्यवस्था की थी, क्योंकि वह कहीं और रहते थे। पुलिस ने कहा कि जब भी महिला को भूख लगती थी तो वह अलार्म बजाती थी, जिसके बाद उनके पड़ोसी बंद घर में बिस्कुट या फल फेंक देते थे। पड़ोसियों को महिला की स्थिति के बारे में पता था लेकिन उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर बेटे के डर के कारण किसी को इस बारे में नही बताया।
बीते शुक्रवार को सूचना मिलने पर समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने पुलिस की मदद से घर का ताला तोड़कर बुजुर्ग महिला को बाहर निकाला और इलाज के लिए तंजावुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया। विभाग को घर का ताला तोड़ना पड़ा क्योंकि उनके बेटों ने घर की चाबी देने से इंकार कर दिया था।