नैनीताल (महानाद) : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। ये फैसले खनन से जुड़ा हुआ है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार हाईकोर्ट ने नंधौर इको सेंसटिव वन क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा बढ़ाई गई राहत स्किम के तहत माइनिंग की अनुमति पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने ये रोक नंधौर ईको सेंसिटिव वन क्षेत्र में बाढ़ राहत योजना के तहत खनन की अनुमति देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। साथ ही मामले को सुनने के नदी से खनिज के दोहन पर रोक लगाते हुए बाढ़ राहत कार्यजारी रखने का आदेश दिया है।
मीडिया रिपोर्टस की माने तो बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ में चोरगलिया निवासी दिनेश कुमार चंदोला की जनहित याचिका पर सुनवाई की । याचिका में कहा गया कि हल्द्वानी का नंधौर क्षेत्र इको सेंसटिव जोन में आता में है। इस क्षेत्र में सरकार ने बाढ़ से बचाव के कार्यक्रम के नाम पर खनन करने की अनुमति दे रखी है। इसका फायदा उठाते हुए खनन कम्पनी ने मानकों के विपरीत खनन किया है। इक्कठा किये गए मटीरियल को स्टोन क्रशर के लिए ले जाया जा रहा है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
याचिका में कहा गया कि इको सेंसटिव जोन में खनन की अनुमति नही दी जा सकती क्योंकि यह पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और इको सेंसटिव जोन की नियमावली के विरुद्ध है । लिहाजा इसपर रोक लगाई जाए। जनहित याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन, डायरेक्टर ननधोर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, डीएफओ हल्द्वानी, उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व एस.पी.एस.इंफ्रा इंजीनियर लिमिटेड नोएडा को पक्षकार बनाया है। मामले की सुनवाई कर कोर्ट ने खनन पर रोक लगा दी है।